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(सुधीर पुरोहित)
बैड के लिहाज से जिले के सबसे बड़े नाथद्वारा के अस्पताल में बीते एक साल में 30 नए डॉक्टर तो लग गए, लेकिन इन विशेषज्ञ डॉक्टरों के लिए काम आने वाले लाखों के उपकरण अब तक नहीं लगे हैं। ऐसे में मरीजों को डॉक्टरों की सेवा का पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है।
अस्पताल में एनेस्थिसिया मशीन, ऑर्थोस्कोपिक मशीन, ऑर्थोपेडिक ऑपरेशन टेबल, ईसीजी मशीन, वेट फिल्ड बाॅय पोलर काॅटरी मशीन नहीं होने से हड्डी, नेत्र, गायनिक, हार्ट संबंधी रोगों में मरीजों को सुविधा नहीं मिलने से रेफर करने या पूरी जांच नहीं होने की समस्या जैसी परेशानियां हो रही है।
हार्ट के लिए इको मशीन नहीं है। इको होने से हार्ट से संबंधित रोग की जांच हो सकेगी। इधर, सीएमएचओ का कहना है कि मशीनें खरीदने का प्रस्ताव डीएमएफटी की कार्यकारिणी की बैठक में रखा जाएगा। अति आवश्यक होने पर प्रस्ताव को जिले के प्रभारी मंत्री के पास भेजा जा सकता है। मंत्री चाहें तो फंड पास हो सकता है, लेकिन इसके लिए भी तकनीकी और फाइनेंस कमेटी की स्वीकृति लेनी होती है। इधर, अस्पताल में डॉक्टरों के स्वीकृत 51 पदों में से 16 खाली चल रहे हैं।
शहर के लालबाग स्थित राजकीय चिकित्सालय में एक साल में विधानसभाध्यक्ष और स्थानीय विधायक डाॅ. सीपी जोशी की अनुशंसा पर एक साल में करीब 30 डाॅक्टरों की नियुक्ति हुई है। अस्पताल में इन दिनों लगभग सभी बीमारियों के लिए युवा और अनुभवी डाॅक्टरों की टीम मौजूद है, लेकिन विभिन्न बीमारियों की जांच और ऑपरेशन में काम आने वाली एनेस्थिसिया मशीन, ऑर्थोपेडिक ऑपरेशन टेबल, ऑर्थोस्कोपिक मशीन, नेत्र राेग की वेट फिल्ड बाॅय पोलर काॅटरी मशीन, ईएनटी के लिए ब्रोन्चस्कोप और ओइसोफागोस्पी मशीन, ईसीजी मशीन, लैब में सीबीसी मशीन, ऑटो एनेलाइजर मशीन, ईएसआर मशीन, यूरीन एनेलाइजर मशीन की जरूरत है। इनकी कमी से आमजन को ऑपरेशन सहित अन्य सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। लोगों को निजी लैब या उदयपुर से ऑपरेशन या जांचें करवानी पड़ती हैं।
एनेस्थिसिया मशीन हो तो पता चले बेहोश करने में कितना डोज देना है
डाॅ. बाबूलाल जाट एनेस्थिसिया स्पेशलिस्ट है। ऑपरेशन सहित अन्य इलाज में काम आने वाली एनेस्थिसिया मशीन नहीं है। इसकी लागत करीब 7 से 10 लाख रुपए है। मशीन यह बता देती है कि मरीज को बेहोश करने के लिए कितने डोज की जरूरत है। अभी एनेस्थिसिया हाथ से दिया जा रहा है। शरीर को नाभि से ऊपर के भाग में तकलीफ होने पर ऐसे मरीज को एनेस्थिसिया देने में परेशानी होती है। मशीन से ऑटोमेटिक बेहोशी की दवा और सांस के उपकरण लगाए जा सकते हैं।
हड्डी रोग: ऑर्थोपेडिक ऑपरेशन टेबल नहीं, पुराने टेबल के जुगाड़ से काम
डाॅ. रिद्धीकरण हड्डी रोग के लिए नियुक्त हैं। हड्डी रोग के कई मरीज आते हैं, लेकिन संसाधन कम होने से पूरा उपचार नहीं हो पा रहा है। करीब 4 से 5 लाख रुपए की लागत वाले ऑर्थोपेडिक ऑपरेशन टेबल की जरूरत है। करीब 5 से 7 लाख में आने वाली ऑर्थोस्कोपिक मशीन भी चाहिए। ऑर्थोस्कोपिक मशीन से मरीज के अंग को विशेष एंगल में रखा जा सकता है। ऑपरेशन के दौरान हड्डी को खींच कर रखा जा सकता है। अभी पुराने टेबल पर जुगाड़ से काम चलाया जा रहा है।
नेत्र रोग: एक भी मशीन नहीं है, प्रभावी इलाज दिलाने में दिक्कत
नेत्र रोग के लिए डॉ. शालिनी चौहान सहित अन्य स्पेशलिस्ट लगाए हैं। प्रभावी इलाज के लिए कई उपकरण और मशीनों की जरूरत है। 17 से 20 हजार की लागत वाली वेट फिल्ड बाॅय पोलर काॅटरी मशीन, 2 लाख की लागत वाली स्कैन मशीन, 6 लाख की ऑटो रिफ्रेक्टोमीटर और स्लिट लैम्प मशीन, 30 हजार रुपए लागत वाली ऑफ्थेल्मोस्कोप मशीन की जरूरत है। नेत्र रोग में वेट फिल्ड बाॅय पोलर काॅटरी मशीन से आंखों के नंबर, अंदर तक देखने के लिए कैमरे रहते हैं। इससे जांच और निदान होगा। अभी नेत्र रोग के लिए कोई मशीन नहीं है। यहां पहली बार नेत्र विशेषज्ञ डॉक्टर लगाया है।
ईएनटी : 12 लाख की मशीनें हो तो मिले मरीजों को सुविधा
नाक, कान और गले के लिए डाॅ. जयदीप सिंह की नियुक्ति हुई है। कई उपकरण और मशीनों की जरूरत है। इनमें माइक्रोस्कोप जीजस, 7 से 8 लाख रुपए में आने वाला कान के उपकरणों का सेट। ईयर सर्जरी के 25 हजार के उपकरण, 1 से 2 लाख में आने वाली ब्रोन्चस्कोप और ओइसोफागोस्पी मशीन सहित मुख्य रूप से एण्डोस्कोपी और एण्डोस्कोपी कैमरा विद स्क्रीन चाहिए, जिसकी लागत करीब 2 लाख 20 हजार रुपए बताई जा रही है।
चर्म रोग: पुआ थैरेपी चैंबर मशीन की जरूरत
अस्पताल में डाॅ. महिराम बिश्नोई हैं। चर्मरोग में सफेद दाग के इलाज के लिए पुआ थैरेपी चैंबर की जरूरत है। इसकी अनुमानित लागत करीब 3 से 4 लाख रुपए है।
ईसीजी मशीन चाहिए
अस्पताल में कुल 4 ईसीजी मशीन की आवश्यकता है। इमरजेंसी, ओपीडी और आइसीयू में ईसीजी मशीन चाहिए, जिसकी लागत करीब 50 हजार से 1 लाख रुपए है।
सोनोग्राफी में मशीन जरूरी
सोनोग्राफी हो रही है, लेकिन मशीन और उपकरण कम है। यहां 1 से 2 लाख में आने वाली अल्ट्रा साउंड मशीन के नए प्रोब से अनोमनी सोनोग्राफी से गर्भ में बच्चे में होने वाली विकृति के बारे में जानकारी मिल सकेगी।
मशीन, उपकरणों की सूची सीएमएचओ को भेजी है
ईएनटी, एनेस्थीसिया सहित अन्य विभाग में आवश्यकता अनुसार उपकरण और मशीन की सूची बना कर सीएमएचओ को भेज दी गई है। कलेक्टर के माध्यम से डीएमएफटी फंड से खरीद की जानी है।
-डॉ. कैलाश भारद्वाज, पीएमओ, नाथद्वारा अस्पताल
डीएमएफटी की बैठक में निर्णय होगा : सीएमएचओ
सूची मिलने पर उसे डीएमएफटी में भेजा जाएगा। डीएमएफटी की कार्यकारिणी की बैठक में इस प्रस्ताव को रखा जाएगा। कार्यकारिणी उस पर निर्णय करेगी। अति आवश्यक होने पर प्रस्ताव को जिले के प्रभारी मंत्री के पास भेजा जा सकता है। मंत्री चाहें तो फंड पास हो सकता है, लेकिन उसके लिए भी तकनीकी और फायनेंस कमेटी की स्वीकृति लेनी होती है।
-डॉ. प्रकाश शर्मा, सीएमएचओ, राजसमंद
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