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अश्विन अधिक कृष्ण अष्टमी पर शनिवार को श्रीजी प्रभु की हवेली में राजभोग में सूखे मेवा की मंडली और शाम को पुलिन पवित्र सुभग यमुना तट का मनोरथ हुआ। कीर्तनकारों ने राग तोड़ी में देख गजबाज आज वृजराज बिराजत गोपनके शीरताज, देस देस ते खटदरसन आवत मनवा छीत कूल पावत, किरत अपरंपार ऊंचे चढ़े दान जहाज... सहित अन्य पद का गान कर प्रभु काे रिझाया। अधिक मास में श्रीजी को सुथन, फेंटा और पटका का शृंगार धराया गया।
शृंगार की झांकी में मुखिया बावा ने श्रीजी को सुनहरी जरी की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित चंदनी किनारी के धोरा का सूथन और राजशाही पटका धराया। ठाड़े वस्त्र हरे रंग के धराए गए। प्रभु को छेड़ान का हलका शृंगार धराया गया। फिरोजा के सर्व आभरण धराए गए।
श्रीमस्तक पर चोफुली चूंदड़ी के फेंटा का साज धराया गया। इसमें चंदनी रंग के फेंटा के ऊपर सिरपैंच, बीच की चंद्रिका, कतरा, बायीं ओर शीशफूल धराया गया। श्रीकर्ण में फिरोजा के लोलकबंदी लड़ वाले कर्णफूल धराए गए। कमल माला धराई गई। श्वेत, पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी कलात्मक थागवाली दो मालाजी धराई गई। श्रीहस्त में एक कमल की कमलछड़ी, फिरोजी मीना के वेणुजी और दो वेत्रजी धराए गए। पट केसरी रंग का, गोटी बाघ-बकरी की धराई।
प्रभु श्री विट्ठलनाथजी मंदिर में कुंडवारा मनोरथ: शुद्धाद्वैत द्वित्तीय पीठ स्थित प्रभु विट्ठलनाथजी मंदिर में कुंडवारा मनोरथ हुआ। राजभोग दर्शन में गौ माता की चित्र वाली पिछवाई, काष्ट की गौमाता, ग्वाल के सजाए गए। जगतगुरु कल्याणराय महाराज ने राजभोग आरती की। कीर्तनकारों ने गोकुल गोधन पूजही ब्रज की बाल कुंडवारो लेकर चली का गान किया।
प्रभु काे श्वेत मुकुट, भारी शृंगार धराया : प्रभु के श्री मस्तक पर श्वेत मुकुट, लाल गोकर्ण, श्वेत कांचनी, लालटेर धराई गई। भारी शृंगार किया। हरिराय बाबा, वागधीश बाबा के निर्देशन में सुंदर सजावट सेवा की। प्रभु सुखार्थ गोपी जनों की तरफ से सामग्री अरोगाने के भाव से कुंडवारा मनोरथ किया जाता है। सायंकाल द्वितीय पीठ के निज बगीचा में बारादरी छतरी में नो चाैकिया पर रंगीन कांच के कलात्मक बंगले में प्रभु को विराजित कर कुंज वन गोचरण चारण भाव की साज-सज्जा की।
श्री विट्ठलेश गौशाला से परंपरा अनुसार गाय विट्ठलनाथजी मंदिर गोवर्धन चाैक में पधारी, उन्हें गुड़, दाना, गो ग्रास खिलाया गया। प्रभु के सम्मुख निज बगीचा में पूजन वाली गाय पधराकर गो पूजन किया गया। प्रथम गोचरण चले रे कन्हाई कीर्तन भाव से मनोरथ की सजावट की गई। गोपाष्टमी पर परंपरा अनुसार गौमाता गोचरण के भाव से निजी बगीचे में पधारती है।
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