राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उदयपुर के भींडर में सभा के दौरान अगले चुनाव का शंखनाद कर दिया। अशोक गहलोत ने भींडर में अपने भाषण के दौरान सरकार को रिपीट कराने पर जोर दिया। गहलोत ने कहा कि 40 साल से राजस्थान में कोई सरकार रिपीट नहीं हुई है। मगर पिछले 4 साल में कांग्रेस सरकार ने जो काम किए हैं उससे सरकार को मौका मिलना चाहिए। इस दौरान गहलोत ने कोरोना काल में किए गए सरकार के कामों को भी जनता को बताया।
उदयपुर में लगातार खराब रहा है कांग्रेस का प्रदर्शन
2023 में एक बार फिर सरकार बनाने का इरादा अशोक गहलोत ने उदयपुर से इसलिए जताया क्योंकि मेवाड़ ही 2023 में कांग्रेस को सरकार रिपीट कराने में बड़ा रोल अदा करेगा। पिछले दो चुनावों से मेवाड़ में कांग्रेस लगातार बीजेपी से पिछड़ी है। पिछले चुनाव में तो सरकार बनाने के बावजूद यहां बीजेपी से ज्यादा सीटें कांग्रेस ले गई। ऐसे में अशोक गहलोत का यह मालूम है कि दोबारा मजबूत सरकार बनाने के लिए मेवाड़ में कांग्रेस का अच्छा प्रदर्शन जरूरी है।
वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों में मेवाड़ में कुल 28 विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें उदयपुर की 8, चितौड़गढ़ और बांसवाड़ा की 5-5, राजसमंद और डूंगरपुर की 4-4 और प्रतापगढ़ की 2 सीटें शामिल हैं। फिलहाल इन 28 सीटों में से 14 बीजेपी, 11 कांग्रेस, 2 बीटीपी और 1 निर्दलीय के पास है। ऐसे में इस बार कांग्रेस यहां से 20 प्लस सीटें जीतकर अपने लिए रास्ता आसान करना चाहती है।
लगातार मेवाड़ में सक्रिय रहे हैं गहलोत
पिछले 4 महीनों में गहलोत ने कांग्रेस को लगातार मेवाड़ में सक्रिय रखा है। पहले मई में उदयपुर में कांग्रेस का राष्ट्रीय चिंतन शिविर कराया गया। इसके बाद डूंगरपुर के बेणेश्वर में राहुल और प्रियंका गांधी की सभा हुई। इसके बाद राज्यसभा चुनाव में उदयपुर में ही कांग्रेसी विधायकों की बाड़ाबंदी हुई। ऐसे में मेवाड़ में लगातार सक्रिय रहकर गहलोत इस बार कांग्रेस का मजबूत करना चाहते हैं।
2013 में मेवाड़ में सिर्फ 2 सीटें जीती थी कांग्रेस
2018 के चुनाव में यहां की 28 में से कांग्रेस सिर्फ 10 सीटें जीत सकी। इनमें सबसे खराब प्रदर्शन कांग्रेस का उदयपुर जिले में रहा। यहां 8 में से सिर्फ 2 सीटें ही कांग्रेस जीत सकी। इसमें भी वल्लभनगर की सीट बमुश्किल 3 हजार वोटों से जीती। इससे पहले 2013 में भी कांग्रेस मेवाड़ की 28 में से सिर्फ 2 सीटें जीत सकी थी। इनमें एक सीट झाड़ोल और एक सीट जलदाय मंत्री महेंद्रजीत मालवीया की बागीदौरा थी। तब बीजेपी ने यहां 25 सीटों पर जीत हासिल की थी।
इस बार चित्तौड़गढ़ को छोड़ 5 जिलों में मजबूत है कांग्रेस
आगामी चुनाव से पहले सिर्फ चित्तौड़गढ़ को छोड़ दिया जाए तो बाकी के 5 जिलों में कांग्रेस मजबूत नजर आ रही है। राजसमंद, प्रतापगढ़, बांसवाड़ा और डूंगरपुर में कांग्रेस ने अच्छा होल्ड किया है। वहीं उदयपुर में भी स्थानीय समीकरण कांग्रेस को मजबूत कर रहे हैं। यहां 28 में से 16 सीटें आदिवासी हैं। यही वजह है कि आदिवासी दिवस पर गहलोत ने उदयपुर से मेवाड़ जीतने और सरकार रिपीट कराने का बिगुल बजाया है।
उदयपुर में 2 चुनावों में सिर्फ 3 सीटें जीत सकी है कांग्रेस
उदयपुर जिले की 8 विधानसभा सीटों पर पिछले 2 चुनावों में सिर्फ 3 सीटें कांग्रेस जीत सकी है। वहीं उदयपुर शहर की सीट तो 1998 के बाद से कांग्रेस कभी नहीं जीत पाई है। यहां लगातार 4 बार से नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया जीतते आ रहे हैं। इसके अलावा उदयपुर ग्रामीण, सलूम्बर, गोगुंदा और मावली सीट लगातार दो बार से बीजेपी जीत रही है।
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