राजस्थान में बढ़ते संक्रमण को काबू करने में पूरी मशीनरी जुटी हुई है। इसमें हेल्थ वर्करों की भूमिका किसी से कम नहीं है। खुद की जान जोखिम में डालकर हेल्थ वर्कर मरीजों का इलाज कर रहे हैं। 24 घंटे अलर्ट मोड, परिवार से दूर, न समय पर सोना, न समय पर खाना। ऐसी विषम परिस्थितियों में भी इनके कदम नहीं डिगते। इन्हीं जांबाजों की सेवा को नजदीक से देखने के लिए दैनिक भास्कर की टीम उदयपुर के RNT मेडिकल कॉलेज की सुपर स्पेशलिटी विंग जा पहुंची। कोरोना संक्रमित मरीजों के बीच रहकर पूरी व्यवस्था का जायजा लिया। हेल्थ वर्करों का जो समर्पण, मेहनत दिखी, वह तारीफ के काबिल थी। जब लोगों ने अपने को घरों कैद कर लिया, ऐसे वक्त में स्वास्थ्य कर्मचारी मरीजों की सेवा में लगे हैं।
50% से ज्यादा हो चुके हैं संक्रमित
उदयपुर के RNT मेडिकल कॉलेज की सुपर स्पेशलिटी विंग में पिछले डेढ़ साल से कोरोना संक्रमित मरीजों का उपचार किया जा रहा है। 170 मरीजों की क्षमता वाले इस अस्पताल में 150 से अधिक हेल्थ वर्कर 24 घंटे ड्यूटी पर तैनात रहते हैं। कोरोना संक्रमण के इस दौर में 50% से अधिक हेल्थ वर्कर्स संक्रमण की चपेट में आ गए हैं। ये ठीक होने के बाद फिर से संक्रमित मरीजों का उपचार करने में जुट जाते हैं। इस दौरान संक्रमित होने से 2 हेल्थ वर्कर्स की मौत भी हो गई, जबकि 100 से अधिक के परिजन संक्रमण की चपेट में आ गए हैं। बावजूद इसके अब भी पूरी मुस्तैदी के साथ मरीजों के इलाज में जुटे हैं।
लोगों की जान बचाने के लिए हम लगातार काम कर रहे हैं
उदयपुर में कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज करने वाली हेल्थ वर्कर मंजू ने बताया कि मरीजों के इलाज के दौरान वह खुद भी संक्रमण की चपेट में आ गई थी। रिकवर होने के बाद एक बार फिर मरीजों के उपचार में जुट गई है। मंजू ने कहा कि हाई रिस्क जोन में रहने की वजह से हमें PPE किट पहननी पड़ती है। इसे 8 घंटे तक नहीं उतारा जा सकता। ऐसे में महिलाएं टॉयलेट तक नहीं जा सकतीं। पीरियड्स के वक्त हमें काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। लेकिन, जनता की जान बचाने के लिए हम उन सब परेशानियों को भूल पिछले डेढ़ साल से कोरोना वार्ड में काम कर रहे हैं।
बच्चों से दूर हूं
कोरोना मरीजों का इलाज कर रही हेल्थ वर्कर निशा बताती हैं कि संक्रमण के खतरे की वजह से पिछले डेढ़ साल से वह अपने बच्चों को गले नहीं लगा पाई हैं। निशा ने बताया कि ड्यूटी खत्म होने के बाद जैसे ही वह घर पहुंचती हैं, उनके दोनों बच्चे नजदीक आने की कोशिश करते हैं। मजबूरी में निशा अपने बच्चों को छू भी नहीं पातीं। ऐसे में कई बार बहुत बुरा भी लगता है।
आ जाता है चक्कर
कोरोना मरीजों का इलाज कर रही आशा बताती हैं कि पिछले डेढ़ साल से उनकी ड्यूटी संक्रमित मरीजों के बीच है। हाई रिस्क जोन होने की वजह से उन्हें PPE किट पहनना जरूरी है। इसकी वजह से डीहाइड्रेशन से कई बार चक्कर खाकर गिर भी चुकी हैं, लेकिन हिम्मत नहीं हारी और आज भी संक्रमित मरीजों के बीच रहकर उनका इलाज कर रही हैं। आशा ने कहा कि महिलाओं के लिए PPE किट परेशानी का कारण बन गया है। इसकी वजह से हमें टॉयलेट जाने के लिए 8 घंटे इंतजार करना पड़ता है।
यह भी एक मजबूरी
उदयपुर में कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे छगनलाल के परिजन संक्रमण की चपेट में आ गए हैं। बांसवाड़ा में उपचार जारी है। छगनलाल अपने परिजनों को छोड़ उदयपुर में संक्रमित मरीजों के उपचार में जुटे हैं। छगनलाल ने कहा कि इस दौर सिर्फ हेल्थ वर्कर्स की मेहनत ही संक्रमण को खत्म कर सकती है। ऐसे में विपरीत परिस्थितियों में भी हम सब मिलकर कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं।
परिवार हुआ संक्रमित
RNT मेडिकल कॉलेज की सुपर स्पेशलिटी विंग के को-ऑर्डिनेटर डॉ. राजवीर ने बताया कि संक्रमण का यह दौर काफी भयावह रूप ले चुका है। लेकिन हेल्थ वर्कर्स अब भी पूरी मुस्तैदी के साथ मरीजों की सेवा में जुटे हैं। उन्होंने कहा कि मैं खुद भी मरीजों का इलाज करते हुए कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गया था। इसके बाद मेरी वजह से मेरी पत्नी और बच्चे भी संक्रमित हो गए थे। मुझे 3 दिन तक ऑक्सीजन पर रहना पड़ा था। मेरे परिजनों को भी अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा। मैंने हिम्मत नहीं हारी और अब फिर से संक्रमित मरीजों का इलाज कर रहा हूं। न सिर्फ मेरे लिए बल्कि हर चिकित्सक और चिकित्सा कर्मी के लिए मानव सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है।
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