उदयपुर में 26 सितंबर को आयोजित होने वाली रीट परीक्षा के दिन नेट बंदी के होने को लेकर विरोध शुरू हो गया है। उदयपुर के प्रमुख व्यवसायिक संगठन यूसीसीआई समेत कई दर्जनों ने नेटबंदी से औद्योगिक जगत को बड़ा नुकसान होने की बात कही है। यूसीसीआई सहित कई संगठनो ने इसे हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन बताते हुए बेतुका और और अव्यावहारिक बताया है।
दरअसल परीक्षा के दिन सुबह 5 बजे से प्रस्तावित नोटबंदी के फैसले को लेकर जहां अभी पुलिस और प्रशासन खुलकर कुछ भी बोलने से बच रहा है, तो वहीं दबे शब्दों चौतरफा इसका विरोध भी हो रहा हैं। हालांकि 8 दिन पूर्व जिला स्तरीय राजस्थान पात्रता परीक्षा समिति की ओर से जारी आदेश में इंटरनेट सेवाएं बाधित रहने की बात की गई थी। हालांकि अब तक संभाग के किसी भी जिले से उदयपुर संभागीय आयुक्त को नेटबंदी लिए पत्र नहीं भेजा गया है। माना जा रहा है कि 24 सितम्बर तक प्रशासनिक और पुलिस सहमति के बाद कलक्टर्स की ओर से आयुक्त को इस संबंध में पत्र भेजे जाएंगें।
वहीं राज्य सरकार की ओर से भी अब तक इस परीक्षा के दिन इंटरनेट सेवाओं को सुचारू रखने या बंद रखने को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। खास बात यह है कि अलसुबह से इंटरनेट बंद होने से गूगल मैप की मदद से परीक्षा केंद्र पहुंचने वाले हजारों परीक्षार्थी भी बेहद परेशान होंगे।
नेटबंदी से क्या होगा प्रभाव
नकल गिरोह को रोकने के लिए राजस्थान की सबसे बड़ी परीक्षा में प्रशासन ने नेटबंदी की तैयारियां की है। लेकिन इसके साथ ही आम जनजीवन पर भी करीब 13 घंटे तक प्रभावित करेगा। हालांकि कहा जा रहा है कि लीज लाइन सर्विसेज के सुचारू रहने से बड़े दफ्तरों और औद्योगिक क्षेत्र पर नेटबन्दी का ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा।
1. प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्र ऑनलाइन क्लास से वंचित रहेंगे। इसके चलते कई लाखों अभ्यर्थियों को ऑनलाइन के बजाय ऑफलाइन जुड़ना होगा।
2. किसी भी तरह से ऑनलाइन बस, रेल या फ्लाइट टिकट बुकिंग नहीं हो पाएंगे।
3. अमेजॉन, फ्लिपकार्ट, स्विगी, जिओमार्ट सहित ओला और ऊबर अन्य कई ट्रांसपोर्ट टैक्सी सर्विस और डिजिटल बेस्ड होम डिलीवरी पूरी तरह ठप रहेगी।
4. ईमित्र के जरिए होने वाले ऑनलाइन कामकाज नहीं हो पाएंगे।
5. डिजिटल लेनदेन भी नहीं हो पायेगा।
इसके साथ ही कई सरकारी विभागों में कामकाज, सरकारी-निजी स्कूलों में छोटे बच्चों की पढ़ाई भी बाधित होगी।
बीसीसीआई के अध्यक्ष कमल कोठारी द्वारा जिला कलेक्टर और संभागीय आयुक्त को एक प्रतिवेदन सोते हुए बताया गया है कि प्रतियोगी परीक्षाओं के कारण हर बार इंटरनेट सेवाएं बंद करने से व्यवसायिक गतिविधियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि 2018 में भी जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने इंटरनेट सेवाएं बंद नहीं करने को लेकर निर्देश जारी किए थे।
कई संगठनों का कहना है कि जब छोटे स्तर की परीक्षाएं होती है तो उन्हें तीन चरणों में आयोजित करवा कर नेट बंद नहीं करवाया जाता। रीट जैसे इतनी बड़ी परीक्षा को क्यों एक ही दिन में करवाया जा रहा। वहीं इस मामले पर जिम्मेदार जिला कलेक्टर चेतन देवड़ा और एसपी राजीव पचार कुछ भी बोलने से बच रहे है।
वहीं इस मामलें में विशेषज्ञों का मानना है कि परीक्षा में नकल रोकने के लिए नेटबंदी प्रशासन के सामने एक बडी मजबूरी है, मगर परीक्षा शुरू होने के 10 मिनट पहले नेट बंद कर भी एक वैकल्पिक रास्ता के मार्फत आमजन को ज्यादा प्रभावित होने से रोका जा सकता है। ऐसे में परीक्षार्थी भी आसानी से परीक्षा सेंटर तक पहुंच सकेंगे।
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