राजस्थान में राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर अब स्थितियां साफ होने लगी हैं। 15 नवम्बर के आसपास इन नियुक्तियों की शुरूआत राजस्थान में देखने को मिल सकती है। नियुक्तियों से पहले उप चुनावों में आए परिणाम के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एक बार फिर संगठन में भी मजबूत हुए हैं। इसके चलते राजनीतिक नियुक्तियों में उनकी चलता तय है। ऐसे में उदयपुर में होने वाली नियुक्तियों में भी अशोक गहलोत के हावी रहने की संभावना है। हालांकि यहां कई बड़े नेताओं के दखल से नियुक्तियों पर रार होनी है। मगर यह तय है कि अशोक गहलोत समर्थित नेताओं और कार्यकर्ताओं की उदयपुर में लॉटरी लगेगी।
उदयपुर में प्रमुख रूप से शहर और देहात जिलाध्यक्ष, यूआईटी चेयरमैन और नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष के पद पर नियुक्तियां होनी हैं। इन पदों पर दर्जनभर दावेदार हैं। ये दावेदार अशोक गहलोत, सचिन पायलट, डॉ. सीपी जोशी, रघुवीर मीणा और डॉ. गिरिजा व्यास के खेमों से हैं। इसे देखते हुए उदयपुर देहात जिलाध्यक्ष का पद रघुवीर मीणा के खेमे में जाता दिख रहा है। यहां मीणा के विश्वासपात्र को ही यह पद दिए जाने की पूरी संभावना है। वहीं नेता प्रतिपक्ष का पद गिरिजा व्यास के खेमे में दिया जा सकता है। यहां से उनकी पुत्रवधु हितांशी शर्मा दावेदार हैं। बचे हुए दो पद यूआईटी चेयरमैन और शहर जिलाध्यक्ष पर अशोक गहलोत अपने विश्वासपात्र कार्यकर्ताओं को दे सकते हैं। हालांकि इन दोनों पदों पर सीपी जोशी का दखल रहने की भी संभावना है, मगर गहलोत और सीपी के बीच फिलहाल अच्छा तालमेल है। ऐसे में यहां विवाद होने की संभावनाएं न के बराबर हैं।
ब्राह्मण दावेदार होने से दूसरों की लग सकती है लॉटरी
उदयपुर में चारों पदों पर ब्राह्मण नेता दावेदार हैं। मगर जातिगत समीकरण को साधने के लिए यह संभव नहीं कि सभी पदों पर ब्राह्मण नेताओं को नियुक्त किया जाए। ऐसे में शहर और देहात जिलाध्यक्ष इन दो पदों पर गैर-ब्राह्मण दावेदार जो रेस में इतने मजबूत नहीं हैं, उनकी भी लॉटरी लग सकती है। उदयपुर में उम्मीद है कि सबसे पहले नेता प्रतिपक्ष और देहात जिलाध्यक्ष के पदों पर नियुक्ति हो सकती है।
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