ब्लॉक की समितियों में दोपहर बाद अचानक मौसम बदलने से धान बेचने पहुंचे किसानों की चिंता बढ़ गई है। मौसम की स्थिति को भांपकर समिति प्रभारियों ने आनन-फानन में तिरपाल ढंककर धान की बोरियों को बचाने की कोशिश शुरू की, लेकिन इसके बाद भी फड़ के नीचे रखी बोरियां जमीन पर बहने वाले पानी से भीगती रहीं। इससे किसानों की मेहनत पर पानी फिरता नजर आ रहा है। मालूम हो कि इस साल तीसरी बार बारिश होने के कारण खरीदी प्रभारी से लेकर किसानों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। सालभर मेहनत करने के बाद किसान धान बेचकर बैंक का कर्ज और आर्थिक स्थिति में सुधार करने का प्रयास करते हैं, लेकिन बिन मौसम बरसात के होने से कई किसान आज एक बार फिर धान नहीं बेच सके।
गुरुवार की दोपहर बाद अचानक पानी गिरने से टोकन कटाकर निर्धारित तिथि के अनुसार बिक्री के लिए धान लाने वाले कई किसानों में फड़ में बोरा अदला-बदली और नापतौल के दौरान बेचने से पहले ही अफरा-तफरी मच गई। धान की बोरियों को बचाने किसान और समितियों की ओर से प्लास्टिक और तिरपाल ढंकने की भरपूर कोशिश की गई।
इसके बाद भी जमीन के नीचे से बहने वाला पानी बोरियों में प्रवेश कर गया। इससे धान में अंकुरण होने का खतरा सताने लगा है। धान खरीदी केंद्र खमरिया में दो चबूतरा बनवाए गए हैं। इसमें पूरी तरीके से धान स्टेज किया जा चुका है। वहीं धान का उठाव नहीं करने और जगह का अभाव होने के कारण 42231 क्विंटल धान की बोरियां जमीन पर रखी गई हैं।
धान का उठाव की धीमी गति
इस संबंध में खमरिया,सलका, केदमा समिति प्रबंधकों ने कहा कि धीमी गति से धान का उठाव होने के कारण बोरियों को फड़ के नीचे रखा जा रहा है। हम अपनी तरफ से बचाने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं। जबकि, उठाव की धीमी गति होने के कारण हम लोग भी परेशान हैं।
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