मानस ततः किम रामकथा संवाद के 5वें दिन बुधवार को रामसेवक मुरारी बापू ने राबचा स्थित आदेश गोशाला में व्यासपीठ से विभिन्न प्रसंग और संवाद के माध्यम से श्रावकों को वाणी गंगा से सराबोर किया। नौ दिवसीय रामकथा के 5वें दिन की कथा की शुरुआत श्री हनुमान चालीसा से हुई। बापू ने गुरु कृपा की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि गुरु कृपा से शिष्य के तरक्की के सभी मार्ग खुल जाते हैं। बापू ने जीवन में गुरु की महत्ता बताते हुए भोले तेरी जटा में बहती है गंगधारा... भजन सुनाया। बापू ने कहा कि जब इंसान साधना में ऊपर उठ जाता है तो वह खुद का नाम तक भूल जाता है। उन्होंने कहा कि कलियुग के प्रभाव में आजकल गुरु-शिष्य भी प्रदूषित हो गए हैं। इस दौरान वृंदावन के मोहन बावा, गढ़वाड़ा धाम की कंकू मां, मिराज ग्रुप के सीएमडी मदन पालीवाल, मुख्य प्रबंधक प्रकाश पुरोहित, मंत्रराज सहित श्रोता मौजूद थे। श्रीजी मंदिर के अधिकारी सुधाकर शास्त्री ने बापू को उपरणा ओढ़कर अभिनंदन किया। 6ठें दिन गुरुवार को राम जन्म का प्रसंग सुनाया जाएगा।
जो गुरु क्षमा नहीं कर सकता वह गुरु के योग्य नहीं
बापू ने अपने जीवनकाल में अध्यापक रहते हुए 127 रुपए की तनख्वाह के बारे में यादगार पल सुनाए। बापू ने कहा कि जो धर्म विभासि हो उसे कभी गुरु नहीं बनाए। जो गुरु क्षमा नहीं कर सकता वह गुरु बनने के योग्य नहीं है। बापू ने कहा कि कोई व्यक्ति यदि आपकी निंदा करता है तो आपको उसकी चिंता नहीं करनी चाहिए और समझना चाहिए कि वह व्यक्ति अपने खानदान का परिचय दे रहा है। कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना, छोड़ो इन बेकार की बातों को... गीत के माध्यम से जीवन में मौज करने की सीख दी।
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