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काेराेना महामारी के चलते इन दिनाें स्कूल बंद हैं। बच्चाें काे ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाई करवाई जा रही है। इस दाैरान हाईकाेर्ट ने 60 प्रतिशत फीस लेने के आदेश दिए हैं। जबकि राज्य सरकार आरटीई की फीस देने से मना कर रही है।
शिक्षामंत्री गाेविंद सिंह डाेटासरा ने कहा कि निजी स्कूलाें काे आरटीई के तहत भुगतान तभी किया जाएगा, जब केंद्र सरकार बजट देगी। स्कूल खुले नहीं हैं, बच्चाें काे शिक्षा भी नहीं दी गई हैं। ऐसे में अगर केंद्र सरकार आरटीई का बजट देगी ताे राज्य सरकार विचार करेंगी। सरकार के फैसले के विराेध में स्कूल संचालकाें ने आंदाेलन करने की तैयारी कर ली हैं। संचालकों का कहना है कि जब सरकार खुद बच्चाें काे पढ़ाने के लिए स्माइल जैसे ऑनलाइन शिक्षा के प्राेजेक्ट चला रही है। जबकि बच्चे ऑनलाइन शिक्षा से जुड़ ही नहीं पाए हैं। उन्हें शिक्षक घर-घर जाकर पढ़ा रहे हैं। निजी स्कूलाें काे आरटीई फीस नहीं मिलने से कई छाेटे स्कूल ताे बंद हाेने के कगार पर अा गए हैं। आरटीई फीस सरकार के नहीं देने से वे बच्चे प्रभावित हाेगें जाे आरटीई से स्कूलाें में पढ़ाई कर रहे हैं।
आरटीई के तहत 25 प्रतिशत बच्चों की फीस देती हैं सरकार
प्राइवेट स्कूल डायरेक्टर्स एंड मैनेजमेंट एसाेसिएशन के उपाध्यक्ष दिलीप सिंह यादव ने बताया कि शिक्षा मंत्री का बयान गलत है। आरटीई में बच्चाें की फीस जमा करने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है। सरकार कह रही है कि ऑनलाइन क्लासें चली हैं, स्कूल नहीं चले ताे फीस क्याें दी जाए। जबकि 75 प्रतिशत बच्चाें की 60 प्रतिशत फीस लेने का हाईकोर्ट ने आदेश दे रखा है। सरकार खुद बच्चों काे पढ़ाने के लिए स्माइल प्रोजेक्ट चला रही है। ताे निजी स्कूलाें काे क्याें आरटीई के तहत पढ़ने वाले बच्चाें की फीस सरकार नहीं देना चाहती।
25 को शिक्षामंत्री से मिलेंगे एसोसिएशन के सदस्य
प्राइवेट स्कूल डायरेक्टर्स एंड मैनेजमेंट एसाेसिएशन के अध्यक्ष जीतेश श्रीमाली ने बताया सरकार का फैसला पक्षपातपूर्ण है। ग्रामीण क्षेत्राें के छाेटे स्कूल ताे आरटीई से मिलने वाली फीस के भराेसे थे। फीस नहीं मिलने से स्कूलाें की हालात खराब हाे गई है। सरकार के फैसले काे लेकर 25 काे शिक्षामंत्री से एसोसिएशन के सदस्य मिलेंगे। सरकार की तरफ से फैसला नहीं बदलने पर 26 काे चावंड के तनेश्वर महादेव मंदिर से सरकार के फैसले के खिलाफ आंदालेन का बिगुल बजाया जाएगा।
ऐसे समझें आरटीई को
राइट टू एजुकेशन के तहत सरकार निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत पढ़ने वाले निर्धन बच्चों की फीस का वहन करती हैं। इसके तहत स्कूलों को बच्चों की फीस सरकार की तरफ से दी जाती है। यह योजना पहली से आठवीं तक के छात्रों के लिए होती हैं। स्कूलों का प्रबंधन स्कूल प्रबंध समितियों (एसएमसी) द्वारा किया जाता है।
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