मार्गशीर्ष शुक्ल (मंगलवार) मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती श्रीनाथजी प्रभु की हवेली में मनाई गई। प्रभु को आलौकिक शृंगार धराकर राग, भोग और सेवा के लाड लड़ाए गए। मुखिया बावा ने बाल स्वरूपों की आरती उतारी। कीर्तनकारों ने विविध पदों का गान कर श्रीठाकुरजी को रिझाया। दर्शनों के लिए भक्तों की कतारें रही। श्रद्धालुओं ने दर्शन कर एकादशी पर दान पुण्य किया। हवेली में गीता जयंती पर गीता पाठ किया गया।
ब्रह्म पुराण के अनुसार मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी का बहुत बड़ा महत्व है। द्वापर युग में प्रभु श्रीकृष्ण ने आज के ही दिन अर्जुन को भगवद् गीता का उपदेश दिया था, इसीलिए आज का दिन गीता जयंती के नाम से भी प्रसिद्ध है। आज की एकादशी मोह का क्षय करने वाली है, इस कारण इसका नाम मोक्षदा रखा गया है।
शृंगार झांकी में श्रीजी प्रभु के श्रीचरणों में मुखिया बावा ने मौजाजी धराए। श्रीअंग पर फिरोजी साटन पर सुनहरी ज़री की किनारी वाला सूथन, चागदार वागा और चोली अंगीकार कराई। पटका मलमल का धराया। फ़िरोज़ी छापा का गाती का रुमाल धराया। लाल ठाड़े वस्त्र धराए। प्रभु को वनमाला का (चरणारविंद तक) हल्का शृंगार धराया। हरे मीना के सभी गहने धराए। श्रीमस्तक पर लसनिया का जड़ाऊ कूल्हे पर पगा का पान, टीपारा का साज़ (मध्य में चन्द्रिका, दोनों ओर दोहरा कतरा) और बायीं ओर शीशफूल सुशोभित किया गया।
श्रीकर्ण में मयूराकृति कुंडल धराए। श्रीकंठ में कस्तूरी, कली और कमल माला माला धराई। गुलाब के पुष्पों की और सफेद पुष्पों की दो मालाजी धराई। श्रीहस्त में कमलछड़ी, लहरिया के वेणुजी और दो वेत्रजी धराए। कंदराखंड में फ़िरोज़ी सुरमा सितारा के कशीदे के ज़रदोज़ी काम वाली और हांशिया वाली शीतकाल की पिछवाई धराई। गादी, तकिया और चरणचौकी पर सफेद बिछावट की गई।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.