• Hindi News
  • Local
  • Uttar pradesh
  • Agra
  • BJP Candidate Had Not Allowed To Contest Panchayat Elections In The Past, Son Has Been Roaming From Village To Village For Three Months, Said Why Can't I Become

आगरा में पूर्व मंत्री के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे मां-बेटे:बोले- बाबूलाल ने अपने बेटे के लिए नहीं लड़ने दिया था पंचायत चुनाव, अब बदला लेंगे

आगराएक वर्ष पहले
आगरा के फतेहपुरसीकरी विधानसभा के लिए नामांकन पत्र लेने आए मां-बेटे।

आगरा में नामांकन के दूसरे दिन भी केवल नामांकन पात्र खरीदे गए, लेकिन एक भी प्रत्याशी ने नामांकन नहीं किया। इस बीच नामांकन पत्र लेने आए मां-बेटे ने सबको चौंका दिया। गैर राजनैतिक पृष्ठभूमि और किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले मां और बेटे ने नामांकन पत्र लिया और फतेहपुरसीकरी विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़ने की बात कही। उन्होंने बताया कि पंचायत चुनाव में पूर्व मंत्री चौधरी बाबूलाल ने सत्ता के दम पर दबंगई की वजह से हमें चुनाव लड़ने नहीं दिया था।

हम भी लोगों के लिए कुछ करना चाहते हैं, सब विधायक बनते हैं, तो हम क्यों नहीं बन सकते। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के प्रथम चरण के नामांकन के दूसरे दिन फतेहपुरसीकरी विधानसभा के रुनकता गांव निवासी सौरभ परमार और उनकी माता मीरा ने नामांकन पत्र खरीदा है। दोनों ही विधानसभा से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में दावेदारी कर रहे हैं।

सोमवार को शुभ मुहूर्त देखकर वे अपना नामांकन दाखिल करेंगे। सौरभ बीएससी पास कर चुके हैं और बेरोजगार हैं, जबकि उनकी मां मीरा प्राथमिक शिक्षा के बाद ग्रहणी के रूप में जीवन यापन कर रही हैं।

मां बेटे का आरोप चौधरी बाबूलाल ने नहीं लड़ने दिया था पंचायत चुनाव।
मां बेटे का आरोप चौधरी बाबूलाल ने नहीं लड़ने दिया था पंचायत चुनाव।

वर्तमान भाजपा प्रत्याशी पर लगाए आरोप

सौरभ ने बताया कि वह बीते पंचायत में ब्लॉक से चुनाव लड़ना चाहते थे। पूर्व सांसद और वर्तमान भाजपा के प्रत्याशी चौधरी बाबूलाल अपने बेटे को पंचायत अध्यक्ष बनवाना चाहते थे ,इसलिए दबंगई से उन्होंने पर्चा भरने नहीं दिया था। उनकी सरकार थी इसलिए कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई थी। इस बार उन्हें हराएंगे और लोगों के लिए काम करेंगे।

सब बने विधायक तो हम क्यों नहीं, लोगों का भला करने की है चाहत

25 वर्षीय सौरभ ने कहा की जब सब लोग विधायक बन सकते हैं, तो हम क्यों नहीं बन सकते हैं। हम भी लोगों की सेवा करना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि वो चुनाव के लिए तीन माह से तैयारी कर रहे हैं और तीन माह के अंतराल में सौ गांवों में प्रचार के लिए जा चुके हैं। वे गांवों में दौरे के दौरान पंचायत में रुक-रुककर लोगों को अपने विचारों के बारे में बताते हैं।

सुबह तड़के घर वापस जाते हैं और फिर भोजन के बाद दूसरे गांव को निकल जाते हैं। सभी लोग उन्हें समर्थन दे रहे हैं। रविवार को गांव में पंचायत भी हो रही है, जिसमें आगे की चुनावी रणनीति तय की जाएगी।

एक ही विधानसभा से मां-बेटे प्रत्याशी होने की यह है वजह

मीरा ने बताया की वो लोग समाज के लिए कुछ अलग करना चाहते हैं। बेटा चुनाव लड़ना चाहता है। अपने गांव और आस-पास के सौ गांव का समर्थन मिल रहा है। डर है कि विरोधी पर्चे में कोई गड़बड़ न कर दें, इसलिए दोनों ने पर्चा भरने का फैसला किया है। मीरा ने बताया कि बेटे का नामांकन सही से हो जाने पर वह अपना नाम वापस ले लेंगी।