आगरा के डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति समेत नौ लोगों के खिलाफ कोर्ट ने परिवाद दायर करने के आदेश दिए हैं। विश्वविद्यालय के कर्मचारी ने इनके खिलाफ स्पेशल सीजेएम कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया था। इन पर साजिश के तहत फंसाने, भ्रष्टाचार करने और 10 लाख रुपए की मांग करने के आरोप लगाए हैं।
डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में तैनात रहे कर्मचारी वीरेश कुमार ने स्पेशल सीजेएम कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया था। इसमें पूर्व कुलपति प्रो. अशोक मित्तल, प्रो. अनिल वर्मा, प्रो. बीडी शुक्ला, प्रो. यूसी शर्मा, प्रो. संजय चौधरी, सहायक कुलसचिव पवन कुमार, अमृतलाल, मोहम्मद रईस, बृजेश श्रीवास्तव पर आरोप लगाए गए हैं।
वीरेश ने आरोप लगाया है कि वह इतिहास विभाग में 23 वर्षों से कार्यरत था। विवि में वर्ष 2015-16 से बीडी शुक्ला व अनिल वर्मा के निर्देशन में अंक तालिकाओं की गलतियां संशोधित करने का काम किया जाता था। मो. रहीस चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के रूप में काम करता था। इनके द्वारा अंकतालिकाओं में अपनी मर्जी से भ्रष्टाचार करते हुए फेरबदल किया जाता था। शासन से इस मामले में जांच शुरू होने पर 12 दिसंबर 2020 को इतिहास विभाग में मौजूद संदिग्ध प्रपत्र को तीनों के द्वारा जला दिया गया।
प्रो. अनिल वर्मा द्वारा वीरेश को बाहर जल रहे कागजों को देखकर आने को कहा। जब वो वहां पहुंचा तो कागज जल रहे थे। इसी दौरान यहां कुलपति पहुंच गए। वीरेश का आरोप है कि साजिश के तहत उसे मार्कशीट व अन्य प्रपत्र जलाने के मामले में फंसाकर नौकरी से निकाल दिया गया।
शिकायत पर नहीं हुई सुनवाई
वीरेश का कहना है कि उसने भ्रष्टाचार व उसके ऊपर हुई गलत कार्रवाई की शिकायत कुलाधिपति, पूर्व कुलपति, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री से भी की। लेकिन अभी तक इस मामले में कोई भी कार्रवाई नहीं हुई। इसके अलावा वीरेश का आरोप है कि उसे बहाल करने के लिए उससे 10 लाख रुपए की मांग भी की जा रही है।
विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने याचिका को परिवाद के रूप में दर्ज कर लिया है। थाना हरीपर्वत पुलिस को इस मामले में जांच के आदेश दिए गए हैं। अब इस मामले में दो सितंबर की तारीख नियत की गई है।
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