आगरा में डेंगू और संदिग्ध बुखार का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। बीमारी के इस दौर में लोगों को खून और प्लेटलेट्स के लिए मुश्किलों को सामना करना पड़ रहा है। डिमांड बढ़ने के कारण मरीज को खून और प्लेटलेट्स दिलाना किसी महायुद्ध से कम साबित नहीं हो रहा है। डोनर साथ होने के बाद भी 10 से 12 घंटे तक इंतजार करना पड़ रहा है।
दरअसल, डेंगू और संदिग्ध बुखार के दौरान लोगों को सबसे ज्यादा ब्लड और प्लेटलेट्स की जरूरत पड़ रही है। अचानक डिमांड बढ़ने के बाद अब ब्लड बैंक में भी लोगों को घंटों तक वेटिंग झेलना पड़ रही है। तीमारदार इसे कोरोना काल में हुई आक्सीजन की किल्लत के जैसा ही बता रहे हैं। दैनिक भास्कर ने आधी रात शहर के ब्लड बैंकों में घूमकर ब्लड की कमी के हालात जानने का प्रयास किया है। रविवार और सोमवार दो दिनों में मंडल में लगभग 26 मौतें हो चुकी हैं।
डोनर है पर फिर भी सुबह से लगा रहे चक्कर
देवरी रोड निवासी योगेश फौजदार ने बताया कि उनके पड़ोस का एक बच्चा प्लेटलेट्स की कमी से जूझ रहा है। सुबह से पांच ब्लड बैंको के चक्कर लगा चुके हैं पर हर जगह 10 से 12 घंटे की वेटिंग बताई जा रही है। बीमार बच्चा साथ घूमते हुए और परेशान हो रहा है। केनरा बैंक में कर्मचारी चेतन तिवारी ने बताया की उनके बॉस की पत्नी का रेम्बो अस्पताल में डेंगू का इलाज चल रहा है।
वो आगरा के लोकहितम ब्लड बैंक में ब्लड ग्रुप जांच के लिए गए थे। यहां खून लेने के बाद उन्होंने और कई जांच बता दी। हमने जांच करने को कहा और अपना ब्लड ग्रुप बता देने का आग्रह किया। ब्लड बैंक ने पैसे लेकर रसीद दे दी और फिर कहा कि आपको एक घंटे इंतजार करना पड़ेगा।
प्लेटलेट्स देने में सबसे ज्यादा परेशानी
मंटोला निवासी आलम शेर ने बताया की उनको प्लेटलेट्स की जरूरत है। कई ब्लड बैंक के चक्कर लगा लिए। डोनर साथ है और उसका ग्रुप भी मिल गया है पर हीमोग्लोबिन और अन्य कारणों से प्लेटलेट्स नहीं लिए गए हैं। दूसरा डोनर नहीं मिल रहा है, समझ नहीं आ रहा है क्या करें। चर्च रोड स्थित एक निजी पैथलॉजी में डेंगू जांच कराने आये प्रमोद श्रीवास्तव ने बताया कि डेंगू की जांच रिपोर्ट देने में उन्हें अगले दिन दोपहर तक रिपोर्ट मिलने की बात कही गई है। बच्चे का इलाज निजी अस्पताल में चल रहा है। डाक्टर डेंगू रिपोर्ट मिलने का इंतजार कर रहे हैं।
सीमित मशीनें और बढ़ गया भार
दिल्ली गेट स्थित एक ब्लड बैंक में काम करने वाले ब्रजेश गोस्वामी ने बताया की सभी ब्लड बैंक और पैथालॉजी में सीमित मशीने हैं। 12 घण्टे में एक मशीन पर 6 से 8 जांच हो पाती हैं, ऐसे में अचानक इतना वर्क लोड होने के कारण तीमारदारों को थोड़ा इंतजार करना पड़ रहा है। प्लेटलेट्स के मामले में मैचिंग की दिक्कत रहती है और एक डोनर से जम्बो पैक लेने और जांच में कई घण्टे लग जाते हैं। लोकहितम ब्लड बैंक के रोहित के अनुसार इस समय जम्बो पैक की मांग बीस गुना बढ़ गयी है। 24 घण्टे काम किया जा रहा है। तीमारदार को पहले ही उसका नम्बर आने के बारे में बताया जा रहा है।
सरकारी आंकड़ों पर उठ रहे सवाल
बता दें कि आगरा के एसएन मेडिकल कालेज में डेंगू के लिए 100 बेड की व्यवस्था की गई है और आंकड़ों में यहां 11 मरीज ही भर्ती हैं। इसके विपरीत आगरा के तमाम निजी चिकित्सालय मरीजों से भरे हुए हैं और बेड कम पड़ रहे हैं। मजबूरी और जानकारी के अभाव में लोग झोलाछापों से इलाज करवा रहे हैं। आवास विकास निवासी रैना यादव ने बताया कि उनके 14 वर्षीय पुत्र रोहन को बुखार और पेटदर्द की शिकायत थी, कई निजी अस्पतालों में बेड न मिलने पर एक निजी अस्पताल में इलाज मिला है। एसएन मेडिकल कालेज में वार्ड ब्वाय ने सुबह व्यवस्था के लिए कहा था और हम इंतजार नहीं कर सकते थे।
स्वास्थ्य विभाग लगातार राहत देने में जुटा
सीएमओ डॉ अरुण कुमार के अनुसार हमारी टीमें लगातार देहात और शहरी क्षेत्रों में घूम घूम कर जांच और इलाज की व्यवस्था कर रही हैं। दवाई और अन्य किसी भी चीज की कोई कमी नहीं होने दी जा रही है। लोगों को अपने आस पास साफ सफाई रखने और पानी इकट्ठा न होने देने के लिए कहा जा रहा है।
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