स्कूलों में नया सत्र शुरू होने वाला है। ऐसे में फिर स्कूलों ने अपनी मनमानी शुरू कर दी है। मनमाने तरीके से 15 फीसद तक फीस बढ़ा दी गई है। फीस के साथ कमीशन के लिए अभिभावकों को पहले से तय की गई दुकानों से कॉपी-किताब, ड्रेस खरीदने के लिए कहा जा रहा है।
कमीशन के लिए नर्सरी के बच्चों को ऐसी किताबें दी जा रही हैं, जो उनके किसी भी मतलब की नहीं है। इतना ही नहीं बुक सेलर किताब कॉपी का बिल भी नहीं दे रहे हैं। स्कूल और बुक सेलर मिलकर टैक्स की चोरी कर राजस्व को नुकसान भी पहुंचा रहे हैं। शिक्षा विभाग के अधिकारी भी अपनी आंखें बंद किए बैठे हैं। अभिभावक मजबूर है, लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं।
पहले समझिए अभिभावकों का दर्द
स्कूलों में नया शैक्षिक सत्र शुरू होने वाला है। कुछ मिशनरी स्कूलों में सत्र शुरू भी हो चुका है। ऐसे में जिन बच्चों का नया एडमिशन हुआ है या जो नई क्लास में आए हैं, उनके अभिभावक इन दिनों परेशान हैं। स्कूलों ने सभी अभिभावकों को बच्चों की किताब कॉपियों के नाम बताने के बजाए, मैसेज कर एक दुकान का नाम भेज दिया है। मैसेज में फरमान जारी किया गया है कि इस दुकान से किताब खरीद लें।
अभिभावक जब दुकान पर जाते हैं तो उन्हें स्कूल का नाम और क्लास पूछते ही एक बैग निकाल कर दे दिया जाता है। अलग-अलग स्कूल और क्लास के हिसाब से बैग की कीमत चार से छह हजार रुपए तक है। इस बैग में बहुत सी ऐसी चीज है, जो अभिभावक लेना नहीं चाहता, लेकिन दुकानदार पूरा बैग ही देता है। अभिभावक मना करे तो वो किताब नहीं देता। ऐसे में मजबूरी में अभिभावक को पूरा बैग लेना पड़ता है।
कॉपी पर नाम छपा, लेकिन उसके लिए कवर अलग से
अभिभावकों को लूटने के लिए स्कूल और पब्लिशर्स कोई मौका नहीं छोड़ते। संजय प्लेस स्थित एक बुक शॉप पर दैनिक भास्कर की टीम पहुंची। यहां पर सेंट फेलिक्स स्कूल की किताबें मिल रही थीं। बैग लेकर आए एक अभिभावक से हमने बात की। स्कूल की मनमानी पर वो बहुत गुस्से में थे, लेकिन बच्चे को परेशानी न हो, इसलिए कैमरे पर कुछ भी नहीं बोले।
उन्होंने बताया कि मेरा बच्चा एलकेजी में आया है। उसका बैग 4100 रुपए का मिला है। इसमें स्कूल बैग की कीमत 390 रुपए है, जबकि पिछले साल ही हमें स्कूल बैग दिया था। इस बार हमने बैग लेने से मना किया तो बोला गया कि पूरा बैग ही मिलेगा। इसके अलावा स्कूल का नाम छपी कॉपी है। मगर, इसके लिए अलग से प्रिंटेड कवर भी दिए गए हैं। जब हमने कहा कि हमारे पास पिछले साल के कवर है, तब भी वहीं जवाब मिला कि पूरा बैग मिलेगा, लेना हो तो लो। बैग में 60 रुपए की रबड़ का पैकेट है, इसमें 20 रबड हैं। अब बताइए कि बच्चा 20 रबड़ का क्या करेगा।
नर्सरी का बच्चा एबीसीडी नहीं जानता, उसे दे दी स्टडी बुक
नर्सरी का बैग लेकर जा रहे एक अभिभावक का कहना था कि हम बच्चे को पहली बार स्कूल भेज रहे हैं। वो एबीसीडी और अ, आ, ई तक नहीं जानता, लेकिन बैग में हिंदी इंग्लिश पोयम की किताबें हैं। इनकी कीमत 160 रुपए है। एक अभिभावक ने बताया कि उनके बच्चे ने नर्सरी पास की है। उनके पास करीब आधा दर्जन किताब और कॉपी ऐसी हैं, जो स्कूल में मंगाई तक नहीं। वो कोरी रखी हैं। इनकी कीमत करीब डेढ़ हजार रुपए है। मगर, स्कूल वालों ने बैग में जबर्दस्ती हमें ये बुक दे दी हैं।
बिल तक नहीं देते
हर स्कूल संचालक ने अपनी दुकान सेट कर रखी है। वहीं से अभिभावकों को किताब लेनी पड़ रही हैं। बुक सेलर अभिभावकों को किताब-कॉपी का बिल तक नहीं दे रहे हैं। सभी सामान प्रिंट रेट पर ही दी जा रही हैं। उनका बुक्स का नाम तक नहीं बताया जाता, जिससे कि वो कहीं और से किताब ले सकें।
नहीं कर सकते किताब लेने को बाध्य
उत्तर प्रदेश सरकार ने 2018 में अध्यादेश जारी किया था कि कोई भी स्कूल बच्चों को किसी विशिष्ट दुकान से किताब, यूनिफॉर्म, जूते खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकता । अध्यादेश के भाग संख्या 2 के बिंदु संख्या 10 में इसका उल्लेख है। मगर, शासनादेश के बाद भी अधिकांश मिशनरी, प्राइवेट स्कूल इसका उल्लंघन कर रहे हैं। शिक्षा विभाग भी इस पर कोई ध्यान नहीं देता है। हर साल स्कूल संचालक मनमानी करते हैं।
बढ़ा दी गई फीस
नए शैक्षिक सत्र में अधिकांश स्कूलों ने 15 फीसद तक फीस बढ़ा दी है। इससे अभिभावक की जेब पर बच्चों की पढ़ाई के खर्च का अतिरिक्त भार पढे़गा। इसको लेकर भी अभिभावक परेशान हैं।
टीम पापा ने दिया ज्ञापन, जांच की मांग
अभिभावकों की परेशानी को लेकर टीम पापा के राष्ट्रीय संयोजक दीपक सरीन की ओर से इस संबंध में जिलाधिकारी नवनीत सिंह चहल को ज्ञापन दिया गया है। उनका कहना है कि किताब और यूनिफॉर्म के नाम पर अभिभावकों का आर्थिक शोषण किया जा रहा है। उन्हें प्राइवेट पब्लिकेशन की किताबें स्कूल द्वारा अधिकृत दुकानों से खरीदने पर विवश किया जा रहा है। एसोसिएयान की ओर से स्कूल और बुक शॉप के नाम भी डीएम को दिए गए हैं। उन्होंने शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अलावा अन्य अधिकारियों से इसकी जांच कराने की मांग की है।
इनके दिए हैं नाम
टीम पापा की ओर से दिए ज्ञापन में सेंट जार्जेज यूनिट-1 और 2, सेंट पीटर्स, सेंट फेलिक्स, गायत्री पब्लिक स्कूल, सेंट एंजनीज, होली पब्लिक स्कूल, सिंबोजिया, शिवालिक स्कूल, सेंट कॉनरेड, सेंट एंडूज, आगरा पब्लिक स्कूल, सिंपकिस स्कूल के नाम देकर कहा गया है कि इनके द्वारा सांठगांठ कर एक ही दुकान से किताब-कॉपी की खरीदारी के लिए कहा जा रहा है। इसमें सुपर स्टेशनरी गऊशाला शाहगंज, माहेश्वरी बुक डिपो संजय प्लेस, श्रीदेवी पुस्तक भंडार, विद्यार्थी केंद्र देव नगर, राठी बुक डिपो सहित तमाम बुक डीलर हैं।
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