कांग्रेस की फायरब्रांड नेत्री शबाना खंडेलवाल मंगलवार को आगरा पहुंची। यहां मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा की उन्हें साक्षात कृष्ण जी ने कहा कि जब आबेजमजम की बात की है तो आपको गंगाजल भी स्वीकार करना पड़ेगा। अभी तक जो समय बिताया वो बेकार था, अब यहां आकर मैं सुरक्षित हूँ।
बता दें कि कांग्रेस नेत्री शबाना खंडेलवाल ने रविवार को आल इंडिया उलेमा बोर्ड की एक बैठक अपने निवास पर बुलाई थी और वहां उन्हें उलेमा बोर्ड की महिला विंग का राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित किया गया था। उन्होंने मीडिया को बयान देते हुए उर्दू को पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग की थी और भाजपा को देश विरोधी और धर्म की राजनीति करने वाला बताते हुए 6 दिसम्बर को मथुरा में जाकर कृष्ण जी को आबेजमजम पिलाने का ऐलान किया था। इसके बाद पुलिस उनके घर पहुंची थी पर वो घर पर नहीं मिली थी। सोमवार को लखनऊ में भाजपा ज्वाइनिंग कमेटी के लक्ष्मीकांत बाजपेयी और प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के सामने उन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली।
कार्यकर्ताओं के साथ मीडिया से की बात
देर शाम आगरा के जयपुर हाउस स्थित भाजपा कार्यालय पर उनका भव्य स्वागत किया गया। इस दौरान उन्होंने कहा की जब कोई घर छूटता है तो दर्द होता है पर जब पीड़ा बहुत बढ़ जाये तो निकलती है। मेरी नाराजगी कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व से थी, मुझे लगता है कि मैंने जहां भी इतना समय बताया वो सब निराधार और बेकार था। हृदय परिवर्तन कभी भी हो सकता है, भाजपा के शासन में कानून व्यवस्था और सभी धर्म जाती का सम्मान किया जाता है। मैं भाजपा में खुद को सुरक्षित महसूस कर रही हूं। संगठन जो भी जिम्मेदारी देगा वो स्वीकार होगी।
रिश्तों के साथ खेला धर्म का कार्ड
शबाना खंडेलवाल ने कहा कि उनकी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग है कि उर्दू को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए। पहले भी ऐसा ही होता था। हमारे यहां हर कोई हिंदी और उर्दू मिलाकर बोलता है। इसे ही गंगा जमुनी तहजीब कहते हैं। मैं मुस्लिम की लड़की हूँ और मेरे पति खंडेलवाल हिन्दू थे। हरा मुझे और नारंगी उन्हें पसंद था।
भाजपा खेमे में हलचल
भले ही शबाना खंडेलवाल ने चुनाव लड़ने जैसी कोई बात नहीं की है पर उनकी अचानक एंट्री ने मुस्लिम बाहुल्य दक्षिण विधानसभा और आगरा ग्रामीण सीट के लिए टिकटों की दावेदारी करने वालों को चिंतित कर दिया है। इसके साथ ही महिला मोर्चा की ब्रज क्षेत्र, शहर और जिला इकाई के पदाधिकारियों को अब उनको पद मिलने और किसी मुख्य पदाधिकारी का पद जाने का डर सता रहा है। खास बात यह है की सामने और सोशल मीडिया दोनों ही जगह कांग्रेसी उनके बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहे हैं।
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