तालाब या गहरी नदी में बस या अन्य वाहन गिरने पर राहत बचाव काम में बहुत मुश्किल आती थीं। पानी के अंदर वाहनों को काट कर लोगों को निकालना अपने आप में एक चुनौती होता था। ऐसे में इस मुश्किल काम से निपटने के लिए अब NDRF अंडर वाटर हाइड्रोलिक कटर कम स्प्रेडर डिवाइस से लैस हो गई है। इस डिवाइस से पानी के अंदर लोहे को कटना आसान हो गया है। आगरा एयरफोर्स स्टेशन पर हुई ज्वाइंट एक्सरसाइज समन्वय 2022 में रक्षा मंत्री के सामने इस डिवाइस का प्रदर्शन भी किया।
बहुत मुश्किल होता था पानी के अंतर बचाव काम
ट्रेन हादसे में पानी में बोगी गिरने या फिर नदी में बस या कार के गिर जाने पर राहत बचाव कार्य में सबसे बड़ी दिक्कत पानी के अंदर लोहे को काटने में आती थी। इसके लिए NDRF को अब स्वीडन तकनीक पर बने हाइड्रोलिक कटर दिए गए हैं।
NDRF के ललित ने बताया कि इस कटर का इस्तेमाल अभी तक रणजीत सिंह सागर डैम में पानी में फंसी बॉडी को निकालने में किया गया हैं। उन्होंने बताया कि इस उपकरण की मदद से पानी के अंदर आसानी से मेटल को काटा जा सकता है।
इस मशीन के मुख्य रूप से चार पार्ट होते हैं। इसमें दो फ्लोटिंग डिवाइस होती हैं। इन फ्लोटिंग डिवाइस का काम मशीन के वजन को संभालना होता है। फ्लोटिंग डिवाइस पानी के ऊपर रहते हैं। इनसे मशीन बंधी होती है। क्योंकि मशीन भारी होती है, ऐसे में पानी के अंदर उसको संभालना मुश्किल होता है। इसके डिवाइस में एक कटर और स्प्रेडर होता है। मशीन हाइड्रोलिक एनर्जी से पानी के अंदर काम करती है। अभी NDRF की हर यूनिट को एक-एक डिवाइस दी गई है।
रक्षा मंत्री को बताई खूबियां
NDRF के ललित कुमार ने बताया कि प्रदर्शन में रक्षामंत्री और सीडीएस को हाइड्रोलिक कटर कम स्प्रेडर की खूबियां बताई थीं। उन्होंने कहा कि इस उपकरण के मिलने से राहत बचाव काम में तेजी आएगी। बड़ी दुर्घटना में कम समय में रेस्कूय ऑपरेशन को अंजाम दिया जा सकेगा। पहले अंडर वाटर काम करना बहुत मुश्किल होता था। उसमें घंटों लगते थे। मगर, अब कम समय में काम हो जाता है।
स्पेशल सूट और मास्क पहनकर होता है काम
पानी के अंदर राहत बचाव करने वाले कर्मी के लिए स्पेशल सूट और मास्क तैयार किए गए हैं। पानी के अंदर काम करने वाले डाइवर के लिए 3MM का स्पेशल सूट तैयार किया गया है। इस सूट को पहनने से ड्राइवर का शरीर ठंडा होने से बचता है।
यह सूट हाइपोथर्मिया से बचाता है। इसके अलावा फुल फेस मास्क और हाफ फेस मास्क भी होता है। जब बहुत नीचे और गंदे पानी में काम करना होता है तो फुल फेस मास्क लगाया जाता है। वहीं, साफ पानी में हाफ फेस मास्क से काम चल जाता है।
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