आगरा में बंदरों का आतंक रोकने को खुलेंगे रेस्क्यू सेंटर:नगर निगम ने वन विभाग से मांगी है अनुमति, बंदरों की नसबंदी की जा रही

आगरा2 महीने पहले
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नगर निगम के पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी डॉ. अजय कुमार सिंह ने बताया कि आगरा में बदंरों का आतंक रोकने को उनकी नसबंदी की जा रही है। - Dainik Bhaskar
नगर निगम के पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी डॉ. अजय कुमार सिंह ने बताया कि आगरा में बदंरों का आतंक रोकने को उनकी नसबंदी की जा रही है।

आगरा में बढ़ती बंदरों की संख्या और उनके हमलों ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है। इस समस्या के स्थायी समाधान के लिए नगर निगम ने बंदरों की नसबंदी के साथ अब रेस्क्यू सेंटर खोलने की योजना तैयार की है। इसके लिए वन विभाग से अनुमति मांगी है।

दरअसल ताजमहल से लेकर कलेक्ट्रेट, एसएन मेडिकल कॉलेज, रेलवे स्टेशन, स्कूल तथा कॉलेजों में बंदरों के आतंक से हर कोई परेशान है। आगरा में हर महीने 2 हजार से अधिक लोग बंदरों द्वारा काटने की घटनाएं होती हैं। आगरा में बंदरों की संख्या 35 हजार के पार हो चुकी है। नगर निगम द्वारा बंदरों की नसबंदी की जा रही है लेकिन वन विभाग ने 500 बंदरों की नसबंदी करने की ही स्वीकृति दी है। ऐसे में बंदरों की समस्या का नगर निगम ने स्थायी समाधान करने के लिए नया रास्ता खोजा है।

नगर निगम को वन विभाग ने 500 बंदरों की नसबंदी की अनुमति दी है। निगम द्वारा ताजमहल और एसएन मेडिकल कॉलेज से बंदरों को पकड़वाकर उनकी नसबंदी कराई जा रही है।
नगर निगम को वन विभाग ने 500 बंदरों की नसबंदी की अनुमति दी है। निगम द्वारा ताजमहल और एसएन मेडिकल कॉलेज से बंदरों को पकड़वाकर उनकी नसबंदी कराई जा रही है।

नगर निगम के पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी डॉ. अजय कुमार सिंह ने बताया कि वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के परिशिष्ट-2 की प्रविष्टि 17 ए के अनुसार बंदर वन्य जीव है और संरक्षित हैं। वन विभाग से 500 बंदरों की नसबंदी की अनुमति मिली थी। ताजमहल और एसएन मेडिकल कॉलेज आदि क्षेत्र से बंदरों को पकड़कर उनकी नसबंदी की जा रही है। साथ ही इस समस्या के स्थायी समाधान के लिए नगर निगम ने वन विभाग को बंदरों के लिए रेस्क्यू सेंटर खोलने की योजना तैयार कर प्रस्ताव भेजा है।

बंदर जब भूखे होते हैं तभी अपना स्थान छोड़कर दूसरी जगहों पर जाकर छीना-झपटी करते हैं।
बंदर जब भूखे होते हैं तभी अपना स्थान छोड़कर दूसरी जगहों पर जाकर छीना-झपटी करते हैं।

शहर में कई जगह खोले जाएंगे सेंटर
डॉ. सिंह ने बताया कि रेस्क्यू सेंटर शहर में उन खाली स्थानों पर खोले जा सकेंगे जहां बंदर आसानी रह सकेंगे। इसके पीछे नगर निगम की मंशा यह कि जब बंदरों को एक ही स्थान पर खेलने तथा खाने को मिलेगा तो वे शहर की कॉलोनियों और बाजारों में आतंक नहीं मचाएंगे। इससे बंदरों के हमले रुकेंगे। साथ धार्मिक दृष्टि से बंदरों को फीडिंग कराने के इच्छुक व्यक्ति इन स्थानों पर बंदरों को खाना दे सकेंगे।

रेलवे प्रशासन ने बंदरों के हमले रोकने के लिए खंभों पर इसी तरह के कट-आउट लगाए हैं।
रेलवे प्रशासन ने बंदरों के हमले रोकने के लिए खंभों पर इसी तरह के कट-आउट लगाए हैं।

कई जगह शहर में लगाए लंगूरों के कट आउट
आगरा में बंदरों का इतना आतंक है कि कई जगह लंगूरों के कट आउट लगाकर उनके हमले रोकने के प्रयास किए गए हैं। रेल प्रशासन और कई स्कूलों में बंदरों का आतंक रोकने के लिए लंगूरों के कट आउट लगाए गए हैं। शुरू में कारगर हुए लेकिन अब बंदर इनसे बिना डरे आसपास होकर गुजर जाते हैं। आगरा के सेंट पीटर्स कॉलेज में बंदरों का आतंक रोकने के लिए लंगूरों के कट आउट लगवाए गए। बंदर बच्चों पर हमला कर उनके लंच बॉक्स और बुक्स उठा ले जाते थे। वहीं आगरा मंडल रेल प्रशासन ने स्टेशन पर लंगूरों के कट आउट लगवाएं हैं ताकि बंदरों का हमला रुक सके।

ताजमहल पर बंदर के हमले घायल हुई विदेशी पर्यटक। (फाइल फोटो)
ताजमहल पर बंदर के हमले घायल हुई विदेशी पर्यटक। (फाइल फोटो)

ताजमहल पर बंदरों से पर्यटक परेशान
ताजमहल पर आए दिन बंदर पर्यटकों पर हमला कर देते हैं। पर्यटकों से उनके हैंड बैग छीन ले जाते हैं, उनके रखे पासपोर्ट और जरूरी सामान ले जाने के कारण पर्यटकों को काफी परेशानी होती है। यहां रोजाना पुरातत्व विभाग के कर्मचारियों द्वारा डंडा लेकर बंदरों को भगाने के लिए ड्यूटी दी जाती है। कई बार विदेशी पर्यटक बंदरों द्वारा काटे जाने घायल हो चुके हैं। ताजमहल पर दशहरा घाट और श्मशान घाट की तरफ से सैकड़ों की संख्या में बंदर भोजन की तलाश में आते हैं। पर्यटकों पर हमला कर उनसे छीनकर भाग जाते हैं। ताजमहल पर जगह-जगह बंदरों से सावधान रहने के नोटिस लगा रखे हैं।

हाईकोर्ट तक पहुंच चुका है मामला
आगरा में बंदरों के आतंक की समस्या हाईकोर्ट तक पहुंच चुकी है। वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन की जनहित याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया था। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार, नगर निगम आगरा सहित अन्य को नोटिस जारी किए और बंदरों की समस्या के समाधान के सबंध में जवाब-तलब किया था। याचिका में शहर में बंदरों की बढ़ती संख्या से अवगत कराते हुए उनके द्वारा किए गए हमलों हुई लोगों की मौत तथा घायलों के बारे में जिक्र किया गया था।