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यहां से तकरीबन 40 किमी दूर उघैती क्षेत्र में बीते रविवार को शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई है। 50 साल की महिला का एक पुजारी ने अपने दो साथियों के साथ गैंगरेप कर हैवानियत की हदें पार कर उसे मार डाला गया। यही नहीं आरोपी उसे घर के सामने फेंककर फरार हो गए। जब इस घटना को मृतका की 12 साल की छोटी बेटी याद करती है तो सिहर उठती है। दैनिक भास्कर संवाददाता से फोन पर हुई बातचीत में उसने बताया कि वह अभी भी डरी हुई है। पूरे गांव में पुलिसवाले हैं। मुझे मेरी मां की याद आ रही है। छोटी बेटी ने बताया कि जब मां दरवाजे पर बेसुध हालात में आई तो उसके जगह-जगह से खून बह रहा था। हम लोग तो कुछ समझ ही नही पाए। अंदर से अभी भी डर लग रहा है कि आगे क्या होगा।
मां चाहती थी कि मैं सरकारी नौकरी करूं: बेटा
बहनों और रिश्तेदारों के बीच बैठा 18 साल का नवयुवक उलझन में है। बात बात पर वह खीझ जा रहा है। बातचीत में उसने कहा कि अभी मैंने इंटरमीडिएट की परीक्षा पास कर ग्रेजुएशन में एडमिशन लिया है। मेरी मां हम भाई-बहनों को खूब पढ़ाना चाहती थी, ताकि घर की गरीबी को हम दूर कर सके। वह चाहती कि मैं पढ़-लिखकर सरकारी अफसर या कोई सरकारी नौकरी कर लूं।
बेटे ने कहा कि जब मैं इंटर में था तभी से वह मुझे सरकारी नौकरी के फॉर्म भरवाया करती थी। इस पूरे मामले में किसकी गलती है के सवाल पर बेटा कहता है कि जब मां दरवाजे पर आई तो वह मर ही चुकी थी। हम लोगों ने फोन पर पुलिस को बताया फिर थाने के भी गए, लेकिन कोई सुनने वाला नही था। पूरा थाना ही खाली था। अगर पुलिस तुरंत एक्शन लेती तो आरोपी फरार नही हो पाता। अब हम चाहते है कि हमें निर्भया की तरह कोर्ट कचहरी और मुकदमे बाजी में न फंसाया जाए आरोपियों को तत्काल फांसी की सजा दी जाए।
5 से 7 हजार कमाती थी, खेत गिरवी रखकर लड़कियों की शादी की और घर बनवाया था
मृतक गैंगरेप पीड़िता के परिवार में उसकी सास, पति, एक बेटा 4 बेटियां है। इनमें से दो बेटियों की शादी हो चुकी है। छोटे दामाद ने बताया कि मेरी सास आंगनबाड़ी सहायिका के पद पर काम करती थी साथ ही बीएलओ का काम भी करती थी। दोनों मिलाकर 5 से 6 हजार की आमदनी हो जाती थी। मेरे ससुर बीमार रहते है तो उनके इलाज का खर्च भी वही उठाती थी। जबकि, दो छोटी बेटियां और बेटा पढ़ाई कर रहे हैं।
दामाद ने बताया कि मेरे ससुराल में चार बीघा खेती थी उसी को सासु मां साहूकार के यहां गिरवी रख कर लड़कियों की शादी की और घर बनवाया था। वह तो साहूकार के पैसे भी नहीं चुका पाती थी। जब साहूकार को पैसे मिलेंगे तब वह जमीन छोड़ेगा। उन्होंने कहा हम परिवार के लोग चाहते है कि जिस पद पर वह नौकरी कर रही थी वह नौकरी अब लड़के को मिल जाए। आखिर इन सब के बाद घर का खर्च भी तो चलना है। पिता की दवाइयां तो बंद होगी नही। उन्होंने कहा हम चाहते है कि आरोपियों को जल्द से जल्द फांसी की सजा हो।
एक-दो बार घर भी आया है आरोपी पुजारी
बेटे ने बताया कि घटनास्थल मंदिर हमारे घर से 3 से 4 किमी दूर है। मां अक्सर मंदिर जाया करती थी। यही नहीं पूजा पाठ के लिए आरोपी पुजारी सत्यनारायण भी एक-दो बार घर आ चुका है, लेकिन कभी ऐसा नहीं लगा कि वह ऐसा करेगा। मेरी मां धर्म-कर्म वाली थी। हम लोगों से भी वह रोज पूजा करने को कहा करती थी। व्रत वगैरह भी रखती थी, लेकिन उसके साथ इतना गलत काम हो गया। मैं बस आरोपियों को जिंदा नही देखना चाहता हूं।
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