आगरा के जिला अस्पताल में आजकल एक 9 साल की बेटी का नाम हर किसी की जबान पर है। जिस उम्र में बच्चे अपने हाथों से ठीक से खाना नहीं खा पाते, उस उम्र में मासूम अपनी मां का जीवन बचाने के लिए जी-जान से जुटी है। घर में खाने के लिए एक दाना नहीं है, लेकिन वह अपने छोटे भाई की पढ़ाई का भी ख्याल रख रही है। बच्ची की मदद करने में पूरा अस्पताल जुटा है।
आगरा के रावली क्षेत्र की मोर गली में 32 साल की कैला देवी प्रजापति रहती है। उसको न्यूरो, रीढ़ की हड्डी में दिक्कत और खून की कमी जैसी बीमारियां हैं। बीमार होने के चलते कई साल पहले उसका पति भी उसे छोड़कर चला गया था। उसके बाद से कैला देवी किराए के मकान में रहती है। वह सड़क पर ठेला लगाकर जैसे-तैसे बेटी प्रीता प्रजापति (9) और बेटे सत्यम (7) का पालन-पोषण कर रही थी।
मां की तबीयत बिगड़ी, तो बेटी हो गई बड़ी
दो महीने से कैला देवी की तबीयत ज्यादा खराब चल रही है। ऐसे में उसका ठेला भी नहीं लग रहा है। वह अंगूठा लगाने जा नहीं सकी, तो सरकारी राशन भी नहीं मिला। इसके बाद भूख के चलते मासूम प्रीता को खाना बनाना आ गया। दो महीने से वही घर का सारा काम संभाल रही है। साथ ही अपनी चौथी क्लास की पढ़ाई और भाई की पहली क्लास की पढ़ाई भी करवा रही है। एक सप्ताह पहले कैला देवी की हालत बहुत ज्यादा बिगड़ गई। इस पर प्रीता छोटे भाई के साथ मां को इलाज के लिए जिला अस्पताल ले गई। मासूम की गुहार पर अस्पताल के स्टाफ ने खून की व्यवस्था की और आर्थिक मदद भी की। अभी भी उसको राशन और इलाज के लिए धन की जरूरत है।
सीएमएस खुद रख रहे ध्यान
सीएमएस अशोक अग्रवाल ने बताया कि महिला काफी बीमार है। हमने खुद व्यवस्था करके उसको खून चढ़वाया है। आयरन की बोतल चढ़वाई जा रही है। बाकी इलाज का भी पूरा ख्याल रखा जा रहा है।
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