बसपा बदल सकती है अपने 4 प्रत्याशी:BJP की टिकट घोषणा के बाद आगरा में लड़ाकों के गड़बड़ाए समीकरण, उम्मीदवारों पर पुनर्विचार

आगराएक वर्ष पहले
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भाजपा के प्रत्याशियों की सूची जारी होने के बाद आगरा में चार सीटों पर बसपा के लड़ाकों के समीकरण गड़बड़ा गए हैं। इन सीटों पर बदलाव की गुंजाइश को देखते हुए नीले खेमे में हलचल तेज हो गई है। आगरा की चार सीटों पर बसपा अपने मोहरे बदलने के लिए मंथन में जुट गई है। इन सीटों में दो पर जातीय समीकरण गड़बड़ा रहे हैं। बाकी दो सीटों पर और मजबूत प्रत्याशी खड़ा करने के लिए प्रत्याशियों की सूची में फेरबदल के लिए पुनर्विचार किया जा रहा है।

देहात की 3 और शहर की 1 सीट पर फेरबदल के चांस

बसपा के पास इन सीटों पर फेरबदल के लिए मौका भी है, क्योंकि भाजपा से टिकट कटने से नाराज कुछ विधायक भी बसपा के संपर्क में आ गए हैं। पार्टी हाईकमान के करीबी इन सीटों पर घोषित बसपा के प्रत्याशियों से संपर्क साध रहे हैं। नई रणनीति के लिए हाल ही में घोषित हुए प्रत्याशियों से राय मशवरा ले रहे है। पार्टी अपने घोषित प्रत्याशियों की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहती है। इसलिए आगे की रणनीति उनकी रजामंदी से ही तैयार होगी। बता दें कि भाजपा ने अपने पांच विधायकों के टिकट काटे हैं, इनमें से दो भाजपा विधायक बसपा के संपर्क में आए हैं। वहीं, एक पूर्व एमएलसी भी लगातार संपर्क में हैं। आगरा देहात में तीन सीटों और शहर की एक सीट पर बसपा प्रत्याशियों को लेकर पुनर्विचार कर सकती है।

छावनी से बीरू हो सकते हैं हाथी के नए महावत
शहर की छावनी सीट पर बदलाव होने की प्रबल संभावना व्यक्त की जा रही है। यहां से पूर्व एमएलसी वीरू सुमन को बसपा सुप्रीमो चुनाव मैदान में उतार सकती हैं। हालांकि वीरू सुमन ने इस बात की अभी पुष्टि नहीं की है। बता दें कि वीरू सुमन दिवंगत नारायण सिंह सुमन के बेटे हैं। दिवंगत नारायण सिंह बसपा सरकार में उद्यान मंत्री रहे थे। पिछले विधानसभा चुनाव में वीरू सुमन के भाई ने इसी सीट से रालोद की टिकट पर चुनाव लड़ा था। वीरू सुमन युवा नेता है। बसपा उन्हें इस सीट के लिए मजबूत मानकर चल रही है। फिलहाल बसपा ने इस सीट के लिए अपने पुराने कार्यकर्ता भारतेंदु अरुण को टिकट दे चुकी है। शहर में छावनी सीट पर बसपा प्रत्याशी बदले जाने की सुगबुगाहट के बीच कहा जा रहा कि सजातीय व्यक्ति को ही टिकट देकर बसपा अपने को मजबूत करने की रणनीति तय कर रही है। इसलिए वीरू सुमन का नाम सबसे पहले लिया जा रहा है।

बाह से जितेंद्र वर्मा ठोक सकते हैं ताल
बसपा देहात में बाह सीट पर वर्तमान में घोषित प्रत्याशी नितिन वर्मा के स्थान पर उनके सजातीय भाजपा विधायक जितेंद्र वर्मा पर दांव लगा सकती है। यहां से विधायक जितेंद्र वर्मा को प्रत्याशी बनाए जाने के कयास लग रहे हैं। हालांकि विधायक ने ऐसी कोई बात नहीं कही है। विधायक जितेंद्र वर्मा पूर्व में सपा के जिला अध्यक्ष भी रहे हैं। 2017 में उन्होंने भाजपा के टिकट पर फतेहाबाद विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए थे। निषाद समाज में उनकी अच्छी पकड़ है।

खेरागढ़ में दिगंबर पर दांव खेल सकती है BSP
खैरागढ़ विधानसभा क्षेत्र में बसपा अपने प्रत्याशी को लेकर पुनर्विचार कर रही है। यहां से बसपा गंगाधर कुशवाहा को पार्टी का प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। गंगाधर कुशवाहा पार्टी के पुराने कार्यकर्ता हैं। भाजपा ने इस सीट पर भगवान सिंह कुशवाहा को चुनाव मैदान में उतार दिया है, इसीलिए बसपा के जातीय समीकरण गड़बड़ा रहे हैं। जातीय समीकरण मजबूत करने के लिए बसपा इस सीट पर किसी ठाकुर प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतारने पर विचार कर सकती है। चर्चा है कि बसपा से मेयर प्रत्याशी रहे दिगंबर सिंह धाकरे को यहां से चुनाव मैदान में उतारा जा सकता है। हालांकि दिगंबर सिंह धाकरे भाजपा में हैं और उनका ऐसा कोई बयान नहीं आया है जो कि बसपा से चुनाव लड़ने की पुष्टि करता हो। दिगंबर सिंह धाकरे बसपा में लंबे समय तक सक्रिय रहे हैं और आगरा सीट से मेयर के चुनाव में उन्होंने अपनी किस्मत आजमाई थी।

एत्मादपुर से राकेश बघेल कूद सकते हैं मैदान में
एत्मादपुर सीट को लेकर भी बदलाव के संकेत मिले हैं हालांकि यहां बसपा सर्वेश बघेल को चुनाव मैदान में उतार चुकी है, लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि पार्टी अपना प्रत्याशी बदल सकती है। पार्टी इस सीट पर भाजपा के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष राकेश बघेल पर दांव चल सकती है। हालांकि राकेश बघेल भाजपा में रहते हुए निष्क्रिय जरूर हैं, लेकिन उन्होंने अभी पार्टी नहीं छोड़ी है। राकेश बघेल भाजपा समर्थित जिला पंचायत अध्यक्ष रहे हैं। इटावा के सांसद रामशंकर कठेरिया के बहुत करीबी माने जाते हैं। एत्मादपुर विधानसभा क्षेत्र में बघेल समाज में उनकी अच्छी छवि है।