उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ का एएमयू मेडिकल कालेज गरीब बच्चों और युवाओं के दिलों का रक्षक बना है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत मेडिकल कालेज में सूबे की पहली पिडियाट्रिक कार्डियेक सर्जरी यूनिट तैयार की गई है। जहां अब तक प्रदेश के करीब 62 बच्चों व युवाओं के दिलों की सर्जरी की जा चुकी है। सर्जरी यूनिट में बुलंदशहर के चार किलो वजन वाले बच्चे की ओपन हार्ट सर्जरी सहित कई मुश्किल ऑपरेशन किए जा चुके हैं।
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत सभी आंगनबाड़ी केद्रों और परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण कराया जाता है। परीक्षण में मिले बीमार बच्चों को का इलाज सरकार फ्री में कराती है। इन बच्चों का इलाज स्थानीय स्तर से हायर सेंटर कर योजना के तहत किया जाता है। अलीगढ़ समेत सूबे के अन्य शहरों के सभी ब्लाकों में आरबीएसके की टीम इनका उपचार करती है। इस टीम में एनएचएम के तहत चिकित्सक, स्टाफ नर्स समेत पैरामेडिकल की तैनाती की जाती है। योजना के तहत नवजात से 19 साल के बच्चों का उपचार किया जाता है।
सर्जरी के बाद कनिका को मिली नई जिंदगी
बुलंदशहर के खुर्जा निवासी पंकज की पांच साल की बेटी के दिल में छेद था। उसके फेफड़े से प्रभावित होने वाला स्वच्छ रक्त गंदे रक्त से मिल रहा था। जिसके चलते वह बीमार चल रही थी। आरबीएसके के तहत उसे जेएन मेडिकल कालेज में भर्ती कराया गया। बाल एवं शिशु रोग विशेषज्ञ के साथ टीम ने ईको कार्डियोग्राफी कर बीमारी का पता लगाया। कार्डियों थरेपी सर्जरी विभाग के चिकित्सकीय दल द्वारा 40 मिनट तक हार्ट और लंग्स के कार्य को रोक कर दिल के छेद की दुर्लभ सर्जरी को अंजाम दिया गया था। बच्ची का उम्र के हिसाब से भार कम होने के कारण काफी परेशानी आई। फिर भी चिकित्सकीय टीम ने सफलता पाई और बच्ची स्वस्थ है।
यूपी में बने 4 डीईआईसी सेंटर
इस योजना के तहत पूरे उत्तर प्रदेश में चार डीईआईसी सेंटर (सेंटर आफ एक्सीलेंस) बनाए गए हैं। इसमें नोएड, लखनऊ, गाजियाबाद और अलीगढ़ में हैं। इन चारों जगहों पर दिल की सर्जरी होने वाले बच्चों का पूरा स्वास्थ्य परीक्षण कराया जाता है। इसके बाद इन बच्चों की सर्जरी को अलीगढ़ एएमयू मेडिकल कालेज भेजा जाता है।
सूबे की पहली यूनिट
आरबीएसके के तहत बच्चों दिलों के सर्जरी के लिए जेएन मेडिकल कालेज को चुना गया। यहां पर सूबे का पहला पिडियाट्रिक कार्डियेक सर्जरी यूनिट स्थापित किया गया है। डीईआईसी सेंटर में स्वास्थ्य परीक्षण कराने के बाद बच्चों को सर्जरी के लिए अलीगढ़ मेडिकल कालेज में भेजा जाता है। जहां पर बच्चों के उपचार, दवा से लेकर सर्जरी तक पूरी जिम्मेदारी सरकार की होती है।
इन बच्चों की हो चुकी है सर्जरी
अमरोहा 10 माह की रफाह, एटा एक साल आरव, अलीगढ़ छह माह मोहम्मद व पांच दिन का बच्चा, 23 दिन का बिट्टू 17 साल अफसना, 17 साल सौरभ, चार माह का आफियान, बरेली चार का सुमित, गोंडा 11 माह का अब्दुल्ला, संभल 12 साल प्रियांश, पीलीभीत दो साल की अंजू, मैनपुरी का तीन दिन का नवजात, एटा का उमीर, देवरिया पांच साल आर्यन, वाराणसी का आबिद शामिल है।
बोले अधिकारी-फ्री में होता है इलाज
आरबीएसके के नोडल अधिकारी व एसीएमओ डॉ. दुर्गेश कुमार ने बताया कि, योजना के तहत मेडिकल कालेज में पिडियाट्रिक कार्डियेक सर्जरी यूनिट स्थापित की गई है। इस यूनिट में अलीगढ़ ही नहीं बल्कि, पूरे उत्तर प्रदेश के बच्चों के दिल के छेद से संबंधित सर्जरी कराई जाती है। यहां आने वाले बच्चों का निशुल्क उपचार किया जाता है।
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