अलीगढ़ में एक शिक्षा अधिकारी का तिलक कर कट्टरपंथियों के निशाने पर आईं महिला टीचर ताहिरा चर्चा में हैं। सोमवार को ताहिरा ने एक वीडियो जारी किया है। इसमें उन्होंने पूरे घटनाक्रम पर विस्तार से अपनी बात रखी है।
उन्होंने कहा, मैंने जॉइनिंग के लिए आए ब्लॉक शिक्षा अधिकारी यानी बीईओ का परंपरा के मुताबिक तिलक लगाकर स्वागत किया था। यह फोटो एक उर्दू शिक्षक मोहम्मद अहमद के हाथ लगी तो उन्होंने मेरे ईमान पर ही सवाल खड़ा कर दिया।
उन्होंने कहा, ''मेरा पहला धर्म इंसानियत है। विद्यार्थियों को इंसानियत का पाठ पढ़ाना है। उनकी (उर्दू टीचर) मानसिकता देखकर ऐसा नहीं लगता है कि वह अपने बच्चों को भी अच्छी शिक्षा नहीं देते होंगे। वह मामले को हिंदू-मुसलमान कराना चाहते हैं।''
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''मामले को हिंदू-मुसलमान करना चाहते हैं उर्दू टीचर''
टीचर ताहिरा ने कहा, ''मोहम्मद अहमद की सोच खराब है। एक अधिकारी के तिलक करने से मेरा धर्म परिवर्तन तो नहीं हो गया? जब बीईओ आए, तो वहां पर मैं अकेली महिला थी। इसके चलते मुझसे तिलक करने को कहा गया। इसके बाद उर्दू शिक्षक इसका मुद्दा बना रहे हैं।''
उर्दू टीचर ने कहा था- इनका मर गया है ईमान
दरअसल, 15 जून को जवां ब्लॉक में बीईओ सतीश चंद्र मिश्रा ने जॉइन किया था। उनका स्वागत हिंदू रीति से किया गया था। वरिष्ठ और अकेली महिला शिक्षिका होने के कारण ताहिरा परवीन ने उनका तिलक किया था। जब यह फोटो ग्रुप्स में आई तो अलीगढ़ के उर्दू शिक्षक मोहम्मद अहमद ने मुस्लिम शिक्षिका के ऊपर टिप्पणी करनी शुरू कर दिया।
उन्होंने कहा था, ''मुसलमान टीचर हिंदू धर्म का पालन कितनी खुशी से कर रही है। इनका ईमान मर गया है।'' इसके बाद यह पूरे जिले में चर्चा का विषय बन गया और बीएसए ने इस मामले में जांच बैठाई है।
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उर्दू टीचर अपनी बात पर अड़े, बोले- इस्लाम में तिलक लगाना गलत
टीचर ताहिरा के ऊपर कमेंट करने वाले उर्दू शिक्षक मोहम्मद अहमद ने पूरे प्रकरण पर अपनी सफाई रखी है। उन्होंने कहा, ''मैंने जो भी बात कही है, वह मेरे निजी विचार हैं। अपने निजी विचार प्रकट करना मेरा संवैधानिक अधिकार है। मैं इस्लाम का मानने वाला हूं और इस्लाम में तिलक लगाना गलत है।''
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