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माघ मकरगत रबि जब होई, तीरथपति आब सब कोई। देव दनुज किन्नर नर श्रेनी, सादर मज्जहि सकल त्रिबेनी।...राम चरित मानस में गोस्वामी तुलसीदास की यह चौपाई इस बात का प्रमाण है कि त्रेतायुग में भी संगम नगरी में माघ मेला और कल्पवास की परंपरा आ रही है। लेकिन इस बार कोरोना महामारी ने कल्पवास पर भी असर डाला है। हर साल कल्पवास मकर संक्रांति पर्व से शुरू हो जाता था। लेकिन इस साल कल्पवास 28 जनवरी को पौष पूर्णिमा स्नान के साथ शुरू होगा, जो माघी पूर्णिमा यानी 27 फरवरी तक चलेगा। सरकार ने तय किया है कि 30 दिन के कल्पवास अवधि के दौरान श्रद्धालुओं का 3 बार एंटीजन टेस्ट किया जाएगा।
क्या होता है कल्पवास?
गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम तट पर संकल्प के अनुसार निश्चित अवधि तक प्रवास करना कल्पवास कहलाता है। यह एक रात्रि या एक माह से अधिक समय का भी होता है। मान्यता है कि सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ शुरू होने वाले एक मास के कल्पवास से एक कल्प जो ब्रह्मा के एक दिन के बराबर होता है उतना पुण्य मिलता है। इस दौरान कल्पवासी के द्वारा सत्यवचन, अहिंसा, इंद्रियों पर नियंत्रण, ब्रह्मचर्य, तीन बार पवित्र नदी में स्नान, पितरों का पिंडदान आदि नियमों का पालन करना होता है। कल्पवासी ज्यादातर अरण्य संसाधनों पर निर्भर रहते हैं। इस दौरान घर आने की छूट नहीं होती है। पुरोहितों द्वारा कल्पवासियों को ठहराने का काम किया जा रहा है।
20 जनवरी तक सुविधा पर्ची हासिल करने का समय
माघ मेला क्षेत्र में साधु-संतों, संस्थाओं आदि को सुविधा पर्ची का वितरण किया जा रहा है। इसके तहत सरकार की तरफ से ईंधन, राशन आदि की व्यवस्था की जाती है। प्रभारी मेलाधिकारी विवेक चतुर्वेदी का कहना है कि सभी संस्थाएं 20 जनवरी तक सुविधा पर्ची प्राप्त कर लें। अन्यथा, इसके बाद पर्ची न लेने वाली संस्थाओं की भूमि एवं सुविधा निरस्त कर अन्य आवेदकों को आवंटित कर दी जाएगी।
माघ मेला क्षेत्र से बाहर इन 14 स्थानों पर रुक सकेंगे श्रद्धालु
14 जनवरी यानी मकर संक्रांति पर्व पर 4.50 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई है। आने वाले दिनों में यह संख्या बढ़ेगी। ऐसे में प्रशासन ने प्रमुख स्नान पर्वों पर स्टेशन पर भीड़ बढ़ने की स्थिति में शहर में 14 जगहों पर स्नानार्थियों के ठहरने की व्यवस्था की है। हालांकि इन स्थलों पर स्नानार्थियों को कुछ अवधि के लिए ही ठहरने की सुविधा होगी। प्रयागराज जंक्शन से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए खुशरोबाग, एंग्लो बंगाली इंटर कालेज, बिशप जानसन स्कूल एंड कालेज, सीएवी इंटर कालेज, राजकीय बालिका इंटर कालेज, सेंट जोसेफ स्कूल एंड कालेज तथा चंद्रशेखर आजाद पार्क में होल्डिंग स्थल बनाए गए हैं। प्रयाग रेलवे स्टेशन के यात्रियों के लिए एनी बेसेंट इंटर कालेज, होली ट्रिनटी स्कूल, आईईआरटी कालेज तथा नार्मलल स्कूल को होल्डिंग स्थल घोषित किया गया है। रामबाग स्टेशन के लिए सेवा समिति इंटर कालेज, क्रासवेट इंटर कालेज तथा राजकीय इंटर कालेज में ठहरने की व्यवस्था की गई है। इसके लिए इन स्थलों का अधिग्रहण किया जा चुका है।
एक हजार नावे लगाई गईं, सोशल डिस्टेंसिंग का करना होगा अनुपालन
संगम समेत अन्य घाटों पर करीब 1000 नावें श्रद्धालुओं को संगम तक ले जाती हैं। इन नावों पर नाविक 15-20 लोगों को बैठाते हैं। सामान्य दिनों में तो किसी तरह यह निभ जाता था लेकिन कोविड-19 महामारी के दिनों में यह अनुचित माना जा रहा है। माघ मेला के स्वास्थ्य विभाग के सब चार्ज डॉ. आरएस ठाकुर ने कहा है कि नाव पर सवारी करते समय लोग आपस में दो गज दूरी बनाए रहें और मास्क सैनिटाइजर का उपयोग भी लगातार करते रहें। क्योंकि कोरोना से सुरक्षित रहने का यह टीकाकरण से पहले यही सबसे उचित तरीका है। नाविक संघ के अध्यक्ष पप्पू निषाद का कहना है कि नाव वाले जागरूक हैं। श्रद्धालुओं व अन्य पर्यटकों को दूर-दूर ही बैठा रहे हैं।
मेला क्षेत्र में घूम रही हैं थर्मल स्कैनिंग टीमें
माघ मेला क्षेत्र में थर्मल स्कैनिंग टीमें सभी पांच सेक्टरों में सक्रिय हो गई हैं। कल्पवास के लिए ट्रैक्टरों या अन्य साधनों से आ रहे लोगों की जांच शुरू कर दी गई है। कोविड के नोडल अधिकारी डॉक्टर ऋषि सहाय ने बताया कि कोविड केयर कार्ड हर कल्पवासी के पास जरूरी है। इससे कोरोना का प्रवेश माघ मेले में रोका जा सकता है, इसलिए लोग स्वास्थ्य विभाग का सहयोग करें।
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