देश की राजनीति में अमेठी जिले की एक अलग ही पहचान है। यह क्षेत्र हमेशा से गांधी परिवार का गढ़ माना जाता रहा है। वहीं यहां की तिलोई सीट काफी महत्व रखती है। वो इसलिए कि अमेठी विधानसभा की तरह यहां भी राजघराने से प्रत्याशी मैदान में होता है। कल कांग्रेस ने यहां से पार्टी जिलाध्यक्ष प्रदीप सिंघल को टिकट दिया है। उनके नाम की घोषणा होने के बाद से ही भीतरघात सामने आने लगा है। जिससे कांग्रेस की जीत की राह मुश्किल हो गई है। जबकि बीजेपी मजबूत स्थिति में है।
प्रदीप सिंघल के टिकट की घोषणा के बाद यह कहा जाने लगा कि वो तो स्वयं तिलोई के बीजेपी विधायक राजा मयंकेश्वर शरण सिंह के आगे नतमस्तक रहते हैं तो वो चुनाव क्या लड़ेंगे। वहीं प्रदीप सिंघल पर यह आरोप भी लग रहे हैं कि उन्होंने 2017 के चुनाव में अपनी ही पार्टी के ब्राह्मण प्रत्याशी का काफी विरोध किया था। यही नहीं प्रियंका गांधी के फैसले पर भी कांग्रेसी खेमे में नाराजगी है। लोगों का कहना है कि तिलोई में कांग्रेस को एक ही परिवार दिखा, जिसे सब कुछ दिया जा रहा है। वही जिलाध्यक्ष भी रहेंगे, वही प्रत्याशी भी रहेंगे बाकी नेता बेकार हैं। तो यह कांग्रेस की बड़ी भूल है।
मयंकेश्वर शरण सिंह ने बसपा के मो. सउद को हराया था
बता दें कि जिले की तिलोई विधानसभा सीट पर भी कभी कांग्रेस का ही वर्चस्व था, लेकिन 2017 में भाजपा के मयंकेश्वर शरण सिंह ने बसपा के मो. सउद को 44,047 वोट से हरा दिया था। इस चुनाव में कांग्रेस के विनोद मिश्रा तीसरे स्थान पर रहे। वहीं 2012 में कांग्रेस के डॉ. मोहम्मद मुस्लिम ने सपा के मयंकेश्वर शरण सिंह को 2,710 वोट से हराया था।
तिलोई विधानसभा सीट पहले रायबरेली जिले में आती थी। बाद में अमेठी का गठन होने पर इसमें शामिल कर दिया गया। पिछले चुनावों पर नजर डालें तो 1967 में कांग्रेस के वी. नकवी इस सीट पर पहले विधायक बने। 1969 में जन संघ के मोहन सिंह विजयी हुए। इसके बाद 1974 और 1977 में मोहन सिंह कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा पहुंचे और लगातार 3 बार विधायक बने।
2007 में मयंकेश्वर शरण सिंह सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था
वहीं 1980, 1985, 1989 और 1991 में हाजी वसीम लगातार 4 बार कांग्रेस से विधायक बने। 1993 में मयंकेश्वर शरण सिंह ने इस सीट पर जीत दर्ज की और कांग्रेस के विजय रथ को रोककर भाजपा का खाता खोला। 1996 में सपा के मो. मुस्लिम यहां से विधायक चुने गए। वहीं 2002 में मयंकेश्वर शरण सिंह दोबारा भाजपा से विधायक बने। 2007 में मयंकेश्वर शरण सिंह ने पाला बदला और सपा के साइकिल पर विधानसभा पहुंचे। वहीं 2012 में कांग्रेस के टिकट पर मो. मुस्लिम विधायक बने। 2017 में मयंकेश्वर शरण सिंह ने फिर भाजपा का दामन थामा और इस सीट पर कमल खिलाया।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.