रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की 6 दिसंबर से शुरू होने वाली दिल्ली यात्रा से पहले रक्षा मंत्रालय ने तीनों सेनाओं के लिए बड़ी डील को मंजूरी दे दी है। रूस की घातक राइफल AK-203 का प्लांट यूपी में अमेठी के कोरबा में स्थापित होगा। भारत व रूस के संयुक्त उपक्रम वाली कंपनी इंडो रशियन प्राइवेट लिमिटेड की फैक्ट्री में 5 लाख AK-203 राइफल का प्रोडक्शन होगा।
6 दिसंबर को राष्ट्रपति पुतिन के साथ पीएम नरेंद्र मोदी की शिखर वार्ता के दौरान इस डील पर अंतिम मुहर लगेगी। करीब 600 मिलियन डॉलर की इस डील के बाद जल्दी ही इसका निर्माण शुरू हो जाएगा। कोरबा में साल 2019 में पीएम मोदी फैक्ट्री का शिलान्यास कर चुके हैं।
3 साल से दोनों देशों के बीच बातचीत
AK-203 प्रोजेक्ट भारत व रूस का स्पेशल ज्वाइंट वेंचर, इंडो रशियन राइफल प्राइवेट लिमिटेड द्वारा बनाया गया है। ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड के अधीन एडवांस वेपन एंड इक्विटमेंट इंडिया लिमिटेड और मुनीशन इंडिया लिमिटेड फर्म हैं। वहीं रूस की ओर से रोसोबोनएक्पोर्ट व कालाशनीकोव हैं। इस संयुक्त कंपनी में ओएफबी की हिस्सेदारी 50.5 % होगी, जबकि कालासनिकोव की 42 % व रोसोबोनएक्सपोर्ट की 7.5% तय की गई है।
इस राइफल के लिए वर्ष 2018 से दोनों ही देशों के बीच निगोशिएशन चल रहा था। पिछले सप्ताह ही रक्षा मंत्री की अध्यक्षता वाली डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल के इस डील को मंजूरी देने के बाद अमेठी में इसके प्रोडक्शन का निर्णय किया गया।
पहली खेप में 20 हजार राइफल, इंसास की जगह लेगी
लंबे समय से तीनों सेनाओं के पास घातक राइफल की कमी थी। अभी सेनाओं के पास इंसास (इंडियन स्माल आर्म्स सिस्टम) देसी राइफल हैं। इंसास की जगह 20 हजार AK-203 राइफल की पहली खेप लेगी। इसे तीनों सेनाओं को सौंपा जाएगा। इसे सीधे रूस से मंगाया जाएगा।
एक राइफल की कीमत करीब 80 हजार रुपए होगी। भारत इस राइफल की टेक्नोलॉजी ट्रांसफर करवाने की कोशिश में है। इसकी लागत से कीमत तय की जानी हैं। इसकी तकनीक मिलने के बाद राइफल के उत्पादन पर रूसी कंपनियों को रॉयल्टी चुकानी होगी।
पीएम मोदी ने दो साल पहले किया था शिलान्यास
इस राइफल बनाने की फैक्ट्री का प्लान 2018 में शुरू हुआ। उस समय एके-203 का उत्पादन अमेठी में शुरू करने की योजना बनाई गई। इसके बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने मार्च 2019 में इस फैक्ट्री की नींव रखी थीं। इसकी दरों को लेकर लंबे समय से दोनों ही देशों के बीच बातचीत चल रही थी। इसमें सबसे बड़ी बाधा वहां से आयात करने पर ज्यादा दरें आ रही थीं। पिछले सप्ताह ही इस डील पर सहमति बन गई।
यूएस से राइफल मिलने में देरी, ये जल्दी मिलेगी
आर्मी के लिए यूएस से SIG-716 घातक राइफल का फास्ट ट्रैक प्रक्रिया से ऑर्डर हो चुका है, बावजूद इसके राइफल मिलने में देरी रही है। खासकर फ्रंटलाइनर जवानों के लिए इस राइफल की जरूरत हैं। गत अगस्त में एयरफोर्स ने 70 हजार आधुनिक एके सीरिज की घातक राइफल के लिए इमरजेंसी खरीद की प्रक्रिया चलाई। इसके बाद इस डील को तेजी से आगे बढ़ाया गया। साथ ही राष्ट्रपति पुतिन की यात्रा से पहले इसे फाइनल कर दिया गया।
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