अमेठी में दलित बेटी की पिटाई का मामला सियासी गलियारे में चर्चा का विषय है। कांग्रेस महासचिव व यूपी की प्रभारी प्रियंका गांधी ने आरोपियों पर त्वरित कार्रवाई के लिए सार्थक पहल की। जिससे सत्ता पक्ष और प्रशासन नतमस्तक हुआ। अंत में प्रियंका ने बेटी की लड़ाई स्वयं लड़ने की बात भी कही। बता दें कि अमेठी में प्रियंका गांधी ने जब पहली बार 2002 में एंट्री की थी तो पहला कदम यहां संग्रामपुर के दलित के घर में ही रखा था।
वैसे गांधी परिवार के नाते प्रियंका गांधी का अमेठी-रायबरेली में आना-जाना हुआ करता था, लेकिन नवंबर 2002 में प्रियंका पहले के मुकाबले राजनीति में अधिक सक्रिय हुईं। 6 नवंबर 2002 को अमेठी के संग्रामपुर ब्लॉक अंतर्गत पुन्नपुर गांव में दबंगों ने चुनावी रंजिश में दलित राम भजन का घर ढहा दिया था। यूपी की सत्ता में बसपा का राज था। बावजूद इसके मामले में 16 दिनों तक कार्रवाई नहीं हुई थी।
2002 में संग्रामपुर पहुंच गई थीं प्रियंका गांधी
खबर पाकर 22 नवंबर 2002 को प्रियंका गांधी संग्रामपुर पहुंच गईं। उन्होंने राम भजन के घर जाकर घटना की जानकारी ली। प्रियंका उसे लेकर संग्रामपुर थाने में मुकदमा दर्ज कराने के लिए पहुंच गईं। यही नहीं उनके निर्देश पर संग्रामपुर ब्लॉक के कांग्रेस के तत्कालीन ब्लॉक अध्यक्ष राजीव सिंह ने श्रमदान कर उसका मकान बनवाने की बात कही। स्वयं प्रियंका श्रमदान करने जाने ही वाली थीं तो उन्हें प्रशासन ने रोक दिया। राजीव सिंह ने एक बिस्वा जमीन खरीद कर उस पर राम भजन के मकान का निर्माण श्रमदान से शुरू कर दिया था।
प्रियंका गांधी के ट्वीट के बाद जागी थी पुलिस
गौरतलब है कि हाल ही में अमेठी के संग्रामपुर की दलित की बेटी को मोबाइल चोरी के शक में दबंगों ने पीटा था। सत्ताधारियों का समर्थन होने के चलते पखवारे भर तक केस नहीं दर्ज हुआ। जब मीडिया में खबर आई तो केस दर्ज हुआ और दो को जेल भेजकर सत्ता समर्थन पाए मुख्य आरोपी को पुलिस बचाने लगी। मंगलवार को जब प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर आंदोलन की चेतावनी दी तो पुलिस बैकफुट पर आ गई। शाम होते ही मुख्य आरोपी को भी गिरफ्तार कर लिया। गुरुवार को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय लल्लू ने पीड़िता के घर पहुंचकर उसकी बात प्रियंका गांधी से कराई। इस पर उन्होंने कहा कि वो और कांग्रेस पार्टी उसके साथ खड़े हैं।
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