आलू उत्पादक किसानों की फसल को सरकारी क्रय केंद्र के माध्यम से खरीदने की बात औरैया में बेमानी साबित हो रही है, क्योंकि अभी तक कोई क्रय केंद्र खुला ही नहीं है। जनपद में आलू की बंपर पैदावार हुई है, लेकिन मंडी में आलू का भाव किसानों को नहीं मिल रहा है, जिस कारण किसान बेहद परेशान नजर आ रहे हैं।
औरैया, इटावा, कन्नौज, फर्रुखाबाद और फिरोजाबाद जनपद आलू की बेल्ट के रूप में जाना जाता है। यहां पर किसान आलू का उत्पादन करते हैं। इस बार आलू की फसल की बंपर पैदावार हुई है, लेकिन मंडी में किसानों को आलू का वाजिब दाम नहीं मिल पा रहा है। जिस कारण किसान लगातार परेशान नजर आ रहे हैं। किसानों के खेतों में आलू के ढेर लगे हुए हैं, तो वही मंडियों में भी आलू से भरे हुए ट्रैक्टर ट्रॉली खड़े देख जा सकते हैं। लोग आलू की फसल बेचने के लिए मंडी तो पहुंच रहे हैं, लेकिन उनका मूल्य काफी कम है। जिस कारण किसान अपनी लागत का मूल भी नहीं निकाल पा रहे हैं।
आपको बता दें कि आलू की फसल में लागत काफी आती है। खाद, बीज और डीएपी के बढ़े हुए मूल्य पर किसान आलू को उगाता है। उसे आशा रहती है कि उनकी यह फसल वाजिब दाम दिलाएगी, लेकिन इस बार मंडी में रेट काफी कम है, जिस कारण उन्हें अपनी लागत निकालना भी मुश्किल हो हा रहा है। किसानों का कहना है कि फसल का वाजिब दाम नहीं मिलने से उन्हें दिक्कत का सामना करना पड़ेगा।
किसानों का मानना है कि सरकार आलू को निर्यात कर दे, तो शायद उनकी फसल के दाम कुछ बढ़ सकें। हालांकि सरकार ने 650 प्रति कुंतल की दर से सरकारी क्रय केंद्र के माध्यम से आलू खरीदने की बात कही थी, लेकिन औरैया में केंद्र खुले नजर नहीं आ रहे हैं। किसान फसल को या तो मंडी में बेच रहा है या फिर कोल्ड स्टोरेज में आगामी कुछ दिनों में मूल्य बढ़ने के इंतजार में रख रहा है। किसान ध्यान सिंह पाल,हर्ष तिवारी और रामबाबू का कहना है कि फसल अच्छी हुई है, लेकिन मंडी में वाजिब मूल्य नहीं मिल रहा। सरकार इस आलू को बाहर भेजे, जिससे लागत तो निकल सके।
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