प्रदेश सरकार ने मदरसों का जो सर्वे कराया था, उससे कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। सर्वे से पता चला है कि अयोध्या में 55 मदरसों को न तो सरकार से मान्यता है, न ही यह मदरसे किसी संस्था से संबद्ध हैं। यहां पढ़ने वाले करीब तीन हजार बच्चों में ढाई हजार से ज्यादा ऐसे हैं। जिन तक गणित, विज्ञान, अंग्रेजी व कंप्यूटर जैसी आधुनिक शिक्षा की रोशनी पहुंच ही नहीं रही है।
जिले के इन सभी गैर मान्यता प्राप्त मदरसों ने अपनी आय का साधन चंदा और जकात बताया है। शायद यही वजह है कि कम आमदनी के कारण यहां पढ़ने वाले बच्चों को मूलभूत सुविधाएं तक हासिल नहीं हैं। इनमें से कुछ ही मदरसे ऐसे हैं, जहां दीनी तालीम के साथ आधुनिक शिक्षा भी दी जा रही है। यहां पढ़ाने वाले शिक्षकों का वेतन भी महज तीन से चार हजार रुपये है। हालांकि बहुत से शिक्षक यहां पर निशुल्क धार्मिक शिक्षा भी देते हैं। इन मदरसों का कोई भी बच्चा किसी अन्य स्कूल में पढ़ने नहीं जाता है। ऐसे में जिन मदरसों में आधुनिक शिक्षा का साधन नहीं है। वहां पढ़ने वाले बच्चे दीनी तालीम के अलावा आधुनिक शिक्षा की रोशनी से पूरी तरह वंचित रह जाते हैं।
तहसीलवार गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की स्थिति मिल्कीपुर तहसील कुल मदरसे 10, आय चंदा, किसी मदरसे में फर्नीचर और शौचालय नहीं। किसी दूसरे स्कूल में नहीं पढ़ते ये बच्चे।
बीकापुर तहसील - मदरसे 06, किसी भी स्कूल में आधुनिक शिक्षा नहीं। किसी दूसरे स्कूल में नहीं पढ़ते ये बच्चे।
रुदौली तहसील - मदरसे 21, एक को छोड़ सब में दीनी तालीम, कई मदरसों में फर्नीचर, विद्युत आपूर्ति और पेयजल भी नहीं। दूसरे स्कूल में दाखिला नहीं।
सोहावल तहसील - मदरसे नौ, दो तीन में आधुनिक शिक्षा, बाकी में दीनी तालीम। दूसरे स्कूलों में दाखिला नहीं।
सदर तहसील - मदरसे 09, फर्नीचर भवन सब जगह है, दो जगह आधुनिक शिक्षा जकात और चंदा।
जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी अमित प्रताप सिंह ने बताया कि जिले से बिंदु पर सर्वे की पूरी रिपोर्ट शासन को भेजी जा चुकी है। अब शासन का जैसा निर्देश होगा, उसी अनुसार काम किया जाएगा।
हालांकि गैर मान्यता प्राप्त मदरसों में ज्यादातर बच्चों को आधुनिक शिक्षा नहीं मिल पा रही है। जिसके लिए परिजनों से संपर्क किया जा रहा है।
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