अयोध्या की प्रसिद्ध पीठ हनुमत निवास में श्रीरामचरित मानस के संगीतमय पारायण पाठ में रामलला का जन्म हुआl रामजन्म की पावन बेला पर प्रसंग के रस में डूब महंत भावविभोर हो उठेl अतिथियों का मंदिर के आचार्य डाक्टर मिथिलेश नंदिनी शरण ने बधाई नेग देकर उनका स्वागत कियाl
इस अवसर पर मधुकरी संत और अयोध्या के मंदिरों के प्रसिद्ध उत्सव गायक एमबी दास ने दास अंगनवा में बाजै बजनवां गीत गाकर मौजूद लोगों को हृदय छू लियाl
कार्यक्रम में लक्ष्मण किला के महंत मैथिलीरमण शरण, जनकपुर के मौनी बाबा, रामकथा कुंज के महंत डाक्टर रामानंद दास, हनुमत सदन के महंत अवधिकशोर शरण, महंत छोटू शरण,मेयर ऋषिकेश उपाध्याय, मधुकरी संत एमबी दास, एडीए सदस्य परमानंद मिश्रा आदि मौजूद रहेl
अयोध्या के सरयू तट के करीब सिद्ध पीठ हनुमत निवास में शुक्रवार से 3 दिवसीय संगीतमय श्रीराम चरित मानस का मधुर पाठ चल रहा है। इसे राम भक्तों की एक टीम कर रही है जो 50 साल से इस क्षेत्र में न केवल सक्रिय है बल्कि अपनी श्रद्धा और समर्पण के चलते बेहद लोकप्रिय भी है। इसे मां अमृता नंद मानस परिवार के नाम से जाना जाता है। कानपुर के रहने वाले वकील योगेश भसीन इस आयोजन के संयोजक हैं। वह कहते हैं कि मानस ऐसा सागर है जिसमें जितना डूबेंगे उसका आनंद उतना मधुर होता जाएगा।
कानपुर, रायबरेली से 30 से ज्यादा साधक पहुंचे
आगरा के प्रसिद्ध समाजसेवी रामप्रकाश पाठक और रायबरेली की मालती भार्गव ने सामूहकि मानस पाठ का आरंभ किया। इस टीम में आगरा, कानपुर, रायबरेली आदि जिलों के 30 से ज्यादा समर्पित साधक अयोध्या पहुंचे हैंl जो 18 नवंबर को सुबह 10 बजे से 20 नवंबर की शाम तक अनवरत मानस का हृदय स्पर्शी पाठ संगीतमय पाठ करेंगेl
अवधी न समझने वाले लोग भी इनके भाव समझकर मंत्र मुग्ध होते
इस टीम ने दुबई, सिंगापुर और मॉरिशस सहित भारत के गोवा, मुंबई, बद्रीनाथ, काशी, अयोध्या और मथुरा सहित लगभग सभी धर्म नागरियों में मानस का पारायण किया हैl इस टीम के पाठ की श्रद्धा का समर्पण ऐसा है कि तुलसी बाबा की अवधी न समझने वाले लोग भी इनके भावों के संकेतों को समझकर मंत्र मुग्ध हो जाते हैं।
मुरादाबाद का सीएल गुप्ता का परिवार आयोजक
अयोध्या में इस कार्यक्रम का आयोजक हनुमत निवास के आचार्य डॉक्टर मिथिलेश नंदिनी शरण की अध्यक्षता में हो रहा है। मुरादाबाद निवासी रामभक्त सीएल गुप्ता का परिवार यह आयोजन करा रहा है। जिसमें परिवार के राघव गुप्ता और शिखा गुप्त का समर्पण कदम-कदम पर है। इसके चलते अयोध्या में यह आयोजन 10 साल पूरे कर चुका है।
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