अयोध्या विधानसभा की पांचों सीटों को फतह करने की दावा जिलाध्यक्ष कर रहे है। जिसके लिए कांग्रेस पार्टी पूरी तरीके से जुट गई है। पार्टी के लिए यह अस्तित्व की लड़ाई भी है। उत्तर प्रदेश में सत्ता के साथ ही अवध क्षेत्र में 32 साल में कांग्रेस को कोई विधायक नहीं मिला है।
इससे पहले 1980 में निर्मल खत्री,1985 में सुरेंद्र प्रताप सिंह कांग्रेस से चुनाव जीते
अयोध्या,रुदौली,बीकापुर,मिल्कीपुर और गोसाईगंज पांच विधानसभा सीटें है।सन 1989 में जनता दल और कांग्रेस गठबंधन से मिल्कीपुर विधानसभा सीट से बृजभूषण मणि त्रिपाठी अंतिम बार चुनाव जीते थे। इससे पहले 1980 में निर्मल खत्री,1985 में सुरेंद्र प्रताप सिंह कांग्रेस से चुनाव जीते थे। 1991 के बाद कांग्रेस का कोई प्रत्याशी पांचों विधानसभाओं में जीत हासिल किया था। इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए या अस्तित्व की लड़ाई है।
पांचों विधानसभा सीटों पर 25 समितियों का गठन
कांग्रेस के जिला अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बताया कि पांचों विधानसभा के लिए इस बार 25 से अधिक लोगों ने दावेदारी की है।उम्मीदवारों के नामों की घोषणा जल्द होगी। इससे पहले ही पार्टी चुनाव आयोग के दिशा निर्देश को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक विधानसभा वार 25-25 टीमों का गठन किया है।प्रत्येक टीम में 5 सदस्य है। जो अभी से जनसंपर्क करेंगे।जिलाध्यक्ष का दावा है कि पार्टी इस बार पांच विधान सभाओं में कम से कम तीन विधान सभा में चुनाव जीतेगी।,
कांग्रेस के लिए अयोध्या विधानसभा सबसे महत्वपूर्ण
कांग्रेस पार्टी के लिए भी अयोध्या विधानसभा सबसे महत्वपूर्ण विधानसभा है। 1985 में कांग्रेस प्रत्याशी सुरेंद्र प्रताप सिंह अंतिम बार अयोध्या विधानसभा का चुनाव जीते थे।1989 में जनता दल से जयशंकर पांडेय विधायक चुने गए।1991,93,96,2002 और 2007 के विधानसभा चुनाव में लल्लू सिंह अयोध्या सीट से लगातार जीतते रहे है। 2012 में भाजपा के लल्लू सिंह को हराकर पहली बार सपा के तेज नारायण पांडेय उर्फ पवन पांडेय चुनाव जीते। 2017 विधानसभा चुनाव में भाजपा ने एक बार फिर अयोध्या सीट पर कब्जा कर लिया। अयोध्या विधानसभा सीट जीतना ही महत्वपूर्ण भाजपा और सपा के लिए है उतना ही महत्वपूर्ण इस बार कांग्रेस के लिए भी माना जा रहा है। जिसके लिए कांग्रेस के कार्यकर्ता तैयारियों में जुटे है।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.