6 करोड़ साल पुरानी शालिग्राम शिलाओं का अयोध्या में पूजन:नेपाल से 373 किमी और 7 दिन का सफर, भगवान श्रीराम की मूर्ति बनेगी

अयोध्या4 महीने पहले
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नेपाल से लाई गईं शालिग्राम शिलाओं का अयोध्या में पूजन किया गया। - Dainik Bhaskar
नेपाल से लाई गईं शालिग्राम शिलाओं का अयोध्या में पूजन किया गया।

373 किलोमीटर और 7 दिन के सफर के बाद दो विशाल शालिग्राम शिलाएं अयोध्या पहुंच गई हैं। गुरुवार सुबह रामसेवक पुरम में 51 वैदिक ब्राह्मणों ने शालिग्राम शिलाओं का पूजन कराया। इसके बाद नेपाल के पूर्व उपप्रधानमंत्री विमलेंद्र निधि और जानकी मंदिर के महंत तपेश्वर दास ने चंपत राय को शालिग्राम शिलाएं सौंप दीं। इसी 6 करोड़ साल पुराने शालिग्राम पत्थर से भगवान राम और सीता की मूर्ति बनेगी, जो राम दरबार में स्थापित होगी।

विमलेंद्र निधि ने बताया कि जनकपुर में राम व जानकी की जयंती के साथ ही सीताराम विवाह धूमधाम से मनाते हैं। महंत तपेश्वर दास की मंशा से यह काम हो रहा है। न्यायालय के फैसले के बाद मन में आया कि राममंदिर में शालिग्राम शिला की मूर्ति लगे।

अयोध्या में 21 वैदिक ब्राह्मणों ने शिलाओं का पूजन किया। बड़ी संख्या में भक्त पहुंचे।
अयोध्या में 21 वैदिक ब्राह्मणों ने शिलाओं का पूजन किया। बड़ी संख्या में भक्त पहुंचे।

इसके लिए 40 शिलाओं की पहचान की गई। वैज्ञानिक तरीके से पहचान के बाद ट्रस्ट से पत्राचार किया गया। विमलेंद्र निधि ने बताया कि वे नृपेंद्र मिश्र से भी मिले। फिर दोनों देशों के बीच सहमति बनी। शिला को भारत लाने के लिए मुझे और महंत राम तपेश्वर दास को जिम्मेदारी दी गई थी।

पूजन के बाद लोगों ने शिला के साथ सेल्फी भी ली। भक्तों ने मत्था भी टेका।
पूजन के बाद लोगों ने शिला के साथ सेल्फी भी ली। भक्तों ने मत्था भी टेका।

अयोध्या में उत्सव जैसा माहौल

बुधवार रात रथ के अयोध्या पहुंचने पर उत्सवी माहौल में सरयू नदी के पुल पर फूल बरसाकर और नगाड़े बजाकर स्वागत किया गया। जय श्रीराम के जयकारे लगे। श्रद्धालुओं का हुजूम इस कदर उमड़ा कि शिलाओं को रामसेवकपुरम पहुंचने में 1 घंटा लग गया। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, डॉ. अनिल मिश्र, मेयर ऋषिकेश उपाध्याय ने शिलाओं को रामसेवकपुरम में रखवाया। सुरक्षा के लिए बाहर PAC-पुलिस तैनात की गई है।

शिला रथ के साथ नेपाल से 100 लोगों का दल भी अयोध्या पहुंचा है।
शिला रथ के साथ नेपाल से 100 लोगों का दल भी अयोध्या पहुंचा है।

रामजन्मभूमि परिसर में शिलाओं को रखने के खास इंतजाम किए गए हैं। वहीं, पूजन में शामिल होने के लिए 100 महंतों को आमंत्रित किया गया है। ओडिशा और कर्नाटक से भी शिलाएं अयोध्या आएंगी। इन सभी का तुलनात्मक अध्ययन मूर्तिकार करेंगे। फिर उनके परामर्श पर ट्रस्टी विचार करेंगे।

माना जा रहा है कि यह शिलाएं 6 करोड़ साल पुरानी हैं।
माना जा रहा है कि यह शिलाएं 6 करोड़ साल पुरानी हैं।

मूर्ति बनाने के लिए मूर्तिकारों को बुलाया
राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने बताया, 'भगवान श्रीराम के मंदिर में मूर्ति किस तरीके की हो और किन शिलाओं से यह मूर्ति निर्मित हो, इस पर राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट विचार कर रहा है। इसके लिए देशभर के मूर्तिकारों के विचारों को जानने के लिए बुलाया गया है। भगवान की मूर्ति की भाव भंगिमां कैसी हो, इस पर गहनता से विचार किया जा रहा है।

ओडिशा और कर्नाटक से भी शिलाएं मंगवाई गई हैं, लेकिन उनके यहां आने का समय अभी तय नहीं हुआ है। सभी शिलाओं को एकत्र करने के बाद विशेषज्ञों की सलाह के बाद ही गर्भगृह की मूर्ति किस पत्थर से बनाई जाएगी, इस पर निर्णय लिया जाएगा।

अयोध्या पहुंचते ही शिला पर फूलों की बारिश की गई।
अयोध्या पहुंचते ही शिला पर फूलों की बारिश की गई।

मूर्तियां बनाकर गर्भगृह में की जाएंगी स्थापित
जानकारी के अनुसार सभी शिलाओं की जांच के बाद, उनमें से एक शिला का इस्तेमाल गर्भगृह के ऊपर पहली मंजिल पर बनने वाले दरबार में श्रीराम की मूर्ति बनाने में किया जाएगा। वहीं, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न की मूर्तियां भी इन्हीं शिलाओं से बनाई जाएंगी। बता दें कि गर्भगृह में अभी श्रीराम समेत चारों भाई बाल रूप में विराजमान हैं।

इन प्रतिमाओं के छोटी होने के कारण भक्त अपने आराध्य को निहार नहीं पाते हैं। ऐसे में बताया जा रहा कि इन प्रतिमाओं का बड़ा स्वरूप बनाया जाएगा। हालांकि इसको लेकर अभी मंथन चल रहा है। मंदिर प्रशासन की ओर से इसकी पुष्टि नहीं की गई है।

शिलाएं कड़ी सुरक्षा और भव्य स्वागत के बीच अयोध्या पहुंचीं।
शिलाएं कड़ी सुरक्षा और भव्य स्वागत के बीच अयोध्या पहुंचीं।

6 करोड़ साल पुरानी हैं दोनों शिलाएं
राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट और विश्व हिंदू परिषद एक साल से इन शिलाओं को लाने का प्रयास कर रही थी। नेपाल के जनकपुर में काली नदी से ये पत्थर निकाले गए थे। अभिषेक और विधि-विधान से पूजा-अर्चना के बाद शिला को 26 जनवरी को अयोध्या के लिए रवाना किया गया था। इस दौरान ये बिहार के रास्ते, UP में कुशीनगर और गोरखपुर होते हुए बुधवार रात अयोध्या पहुंची हैं। एक शिला का वजन 26 टन है, वहीं दूसरी शिला का वजन 14 टन है। माना जा रहा है कि यह शिलाएं 6 करोड़ साल पुरानी हैं।

विक्रमादित्य महोत्सव समिति के अध्यक्ष बोले- रामभक्तों को होगी खुशी
शालिग्राम शिला अयोध्या पहुंचने पर साधु-संतों, महंतों और श्रद्धालुओं में खुशी है। रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा, शालिग्राम शिलाओं की सभी मंदिरों में पूजा की जाती है। शालिग्राम शिलाओं से मूर्ति अगर बनती है तो यह अच्छी बात है।

वहीं, श्रीरामवल्लभाकुंज के प्रमुख और विक्रमाादित्य महोत्सव समिति के अध्यक्ष स्वामी राजकुमार दास ने कहा, ''रामलला के मंदिर में शालिग्राम की मूर्ति स्थापित होने से अयोध्या के संतों और देशभर के राम भक्तों में खुशी होगी।''

यह फोटो श्रीरामवल्लभाकुंज के प्रमुख और विक्रमाादित्य महोत्सव समिति अध्यक्ष स्वामी राजकुमार दास की है।
यह फोटो श्रीरामवल्लभाकुंज के प्रमुख और विक्रमाादित्य महोत्सव समिति अध्यक्ष स्वामी राजकुमार दास की है।

2023 में बनकर तैयार हो जाएगा राम मंदिर ​​​​​
मंदिर प्रशासन की माने तो भगवान राम के मंदिर का निर्माण तेजी के साथ किया जा रहा है। ऐसे में कार्यशाला में राम मंदिर निर्माण कार्य के लिए पत्थरों को तराशने का कार्य भी चल रहा है। अगस्त 2023 तक भगवान श्री राम के मंदिर का भूतल बनकर तैयार हो जाएगा।

ऐसे में कार्यशाला के अंदर पत्थरों को तराशने के लिए भारी मात्रा में कारीगरों को लगाया गया है। बंसी पहाड़पुर के आए हुए पत्थरों, जिन्हें पिंक सैंड स्टोन के रूप में जाना जाता है, को तलाशने का कार्य हो रहा हैं। यह पत्थर 1000 साल तक सुरक्षित रहने वाले हैं। ट्रस्ट ने भी एक दावा किया है कि रामलला का मंदिर 1000 वर्ष तक विपरीत जलवायु में भी सुरक्षित रहेगा।

मकर संक्रांति 2024 में सूर्य के उत्तरायण होते ही श्री रामलला अपने मूल गर्भ गृह में विराजमान होकर भक्तों को दर्शन देंगे। रामलला के गर्भगृह में पहले से एक मूर्ति 1949 से स्थापित है। वहीं, दूसरी मूर्ति के रूप में नई मूर्ति का निर्माण नेपाल की शालिग्राम शिला से होना लगभग तय हो गया है।

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