'अवधपुरी मम पुरी सुहावनि,
दक्षिण दिश बह सरयू पावनि।'
तुसली कृत रामचरित मानस की इस चौपाई में भगवान राम का अपनी मातृभूमि के प्रति प्रेम और पतित पावनी सरयू की महिमा का बखान है। अयोध्या हिंदुओं के प्राचीन और सात पवित्र तीर्थ स्थलों में एक है। यहां 10 हजार मंदिर हैं और इसे मंदिरों का नगर कहा जाता है। श्रीरामजन्मभूमि सहित 84 कोस की अयोध्या में 200 ऐसे तीर्थ स्थल हैं, जो ऐतिहासिक हैं। वैसे तो मत्स्य पुराण, विष्णु पुराण सहित कई पुराणों में अयोध्या का उल्लेख है पर स्कंद पुराण में सरयू नदी, प्रमुख मंदिर, कुंड का उल्लेख मिलता है।
अयोध्या को अथर्ववेद में ईशपुरी बताया गया है। इसके वैभव की तुलना स्वर्ग से की गई है। भगवान श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या त्रेतायुग की मानी जाती है। हालांकि, मौजूदा अयोध्या राजा विक्रमादित्य की बसाई हुई 2,000 साल पुरानी है। अयोध्या में दिवाली का वर्णन भी वेदों-पुराणों में है। प्रभु राम जब लंकाधिपति रावण का वध कर अयोध्या आए तो अयोध्या नगरी ने उनका स्वागत किया था। घर-घर दीप जलाए गए, पकवान बने और उल्लास छा गया था।
अयोध्या में 360 स्नानघाट
सरयू मंदिर के महंत नेत्रजा प्रसाद मिश्र ने बताया कि अयोध्या में 360 स्नानघाट हैं। इनका वर्णन स्कंद पुराण के 22वें अध्याय में किया गया है। 10 हजार मंदिरों में से सबसे ज्यादा मंदिर श्रीराम और मां सीता के हैं। उन्होंने बताया कि सारे तीर्थ अयोध्या में आकर निवास करते हैं। अयोध्या के 100 से ज्यादा कुंडों का वर्णन भी पुराण में है। इसमें मनु से लेकर सूर्य, भरत, सीता, हनुमान, विभीषण समेत भगवान से जुड़े लोगों के नाम से भी कुंड हैं।
भगवान विष्णु के चक्र पर बसी है अयोध्या
युगतुलसी पंडित रामकिंकर उपाध्याय की उत्तराधिकारी और रामायणम ट्रस्ट की अध्यक्ष मंदाकिनी रामकिंकर ने बताया कि अयोध्या विश्व की पहली नगरी है। मानवेंद्र मनु का जन्म अयोध्या में ही हुआ। यह अत्यन्त प्राचीन नगरी है जिसका वर्णन वेद, पुराण आदि में बखूबी मिलता है। अयोध्या के वर्तमान मंदिर 200 से 500 साल पुराने हैं, पर धर्मस्थल लाखों साल पहले के हैं। अयोध्या धनुषाकार है और यह भगवान विष्णु के चक्र पर बसी हुई है। इसके 9 द्वार का उल्लेख प्राचीन धर्मग्रंथों में मिलता है।
अर्पण और समर्पण की अयोध्या
रामकिंकर ने कहा कि अयोध्या शब्द सुनते ही स्वत: अर्थ बोध होने लगता है। जहां कोई युद्ध न हो। जहां के लोग युद्ध प्रिय न हों, जहां के लोग प्रेम प्रिय हों। जहां प्रेम का साम्राज्य हो। जो श्रीराम प्रेम से पगी हों, वो अयोध्या है। इसका एक नाम अपराजिता भी है। जिसे कोई पराजित न कर सके। जिसे कोई जीत न सके या जहां आकर जीतने की इच्छा खत्म हो जाए। जहां सिर्फ अर्पण हो समर्पण हो, वो अयोध्या है।
भगवान के अवतार के बिना उनके विज्ञान को समझा नहीं जा सकता
मंदाकिनी रामकिंकर कहती हैं कि जहां आस्था है, वहीं रास्ता है। आस्था, आत्मविश्वास और कड़ी मेहनत से आप अपने जीवन के उद्देश्य को प्राप्त कर सकते हैं। अध्यात्म के बिना भौतिक उत्थान का कोई महत्व नहीं है। मन की पवित्रता के बिना तन की पवित्रता संभव नहीं है। हृदय के पवित्र भाव ही वाच् रूप में भक्ति, सरलता और आचरण के रूप में प्रकट होते हैं। इस आचरण के अभाव में सर्वत्र अराजकता दिखाई देती है। जीवन से सुख-शांति और सरलता मानो विदा हो चुकी है। ऐसे में परमात्मा का आधार ही सुख व आनंद प्राप्ति का कारण है।
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