राष्ट्रीय संत मुरारीबापू ने कारसेवकपुरम में चल रही रामकथा-परिक्रमा के दूसरे दिन बापू ने श्रीकाग भुशुंडि और पक्षिराज गरुण के संवाद से भगवान श्रीराम के वन गमन प्रसंग की व्याख्या कीlबापू ने मानस के अद्भुत रहस्य को उद्घाटित करते हुए कहा कि श्रीराम चरित मानस में मंगलाचरण के कुल 23 श्लोक हैं जो क्रमशः बालकांड में 7,अयोध्या कांड में 3,अरण्य कांड में 2,किष्किन्धा कांड में 2,सुंदरकांड में 3, लंका कांड में 3 और उत्तर कांड में 3 हैंl
यह 24 श्लोक भगवान के 24 अवतारों का प्रतिपादन करते हैं
उन्होंने कहा कि मानस के अंत मे दो श्लोक और उत्तर कांड में है इनमें मंगलाचरण के इन 23 श्लोकों में अंत में एक जोड़ें तो यह 24 श्लोक भगवान के 24 अवतारों का प्रतिपादन करते हैंl और यह 25 वां श्लोक स्वयं मानसावतार का प्रतिपादन है।बापू कहते हैं कि यह भगवान के 24 अवतार तो मंदिरों में विराजते हैंl पर 25 वां अवतार यह मानसावतार तो आपकी झोली में ही है अर्थात आपके पास ही हैl बस इसे झोली से हृदय तक ले जाना है और यात्रा पूर्ण हुई समझें।
मात्र उच्चारण की शुद्धि से ही सिद्धि नही होगी
मंगलाचरण का विवेचन करते हुए कहते हैं कि मात्र उच्चारण की शुद्धि से ही सिद्धि नही होगी l इसके साथ आचरण भी मंगल हो तभी सिद्धि दायक होगा।अयोध्या कांड मंगलाचरण के प्रथम श्लोक में शिवजी सहित भगवती पार्वती की वंदना गाते हुए बापू ने बताया कि अभिषेक मात्र अजन्मा का होता है जबकि देहधारी का मात्र स्नान होता है।तो अजन्मा मात्र महादेव शिव जी हैं,वही मात्र नीलकंठ हैं।
जो संसार मे रहते हुए भी तपस्वी का सा जीवन जिये वह साधु
बापू ने मानस को रामचरित के साथ साधु चरितमानस बताते हुए साधुता का अर्थ बताया कि साधु वही है जो सावधान रहे।जो संसार मे रहते हुए भी तपस्वी का सा जीवन जिये वह साधु है।तो मानस साधुचरित मानस भी है।
अयोध्या को रामनगरी के साथ ही योगी जी वाली नगरी बताया
श्रीरामजन्मभूमि निर्माण से उत्साहित बापू ने व्यासपीठ से मंदिर निर्माण हेतु अनेकों महापुरुषों के त्याग-समर्पण को प्रणाम करते हुए साकेतवासी महंत रामचंद्र दास परमहंस जी का स्मरण किया तथा अयोध्या को रामनगरी के साथ ही योगी जी वाली नगरी बतायाl कहा कि अयोध्या का सचमुच अब विश्रामदायी विकास हो रहा है।इस मौके पर बापू ने काशी के सौंदर्य और विकास के लिए प्रधानमंत्री मोदी को भी धन्यवाद ज्ञापित किया।
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