लालगंज तहसील क्षेत्र के खुंभादेवरी में चल रहे सात दिवसीय यज्ञ के आज छठवां दिन द्वारिकाधीश 80 घाट वाराणसी के महंत राम अखंड दास जी महाराज ने कहा कि कोई भी धर्म आपस में बैर की शिक्षा नहीं देता।
उन्होंने कहा धर्म के नाम पर जो झगड़ा फसाद करते हैं वह धर्म के मूल स्वरूप को नहीं जानते। उन्होंने कहा धर्म एक दूसरे का सहयोगी है और आपस में प्रेम का उपदेश देता है। उन्होंने कहा धर्म की बड़ी महत्ता है और समय-समय पर देश काल और परिस्थिति के अनुसार धर्म बदलते रहते हैं।
भगवान कृष्ण कहते हैं जहां धर्म है वहां विजय है। धर्म का आचरण हर मानव के लिए उत्कृष्ट है। धर्म से ही समाज उत्थान को प्राप्त होगा तथा धर्म का पालन सदैव सुखदाई होता है। उन्होंने कहा यज्ञ का मूल यह है कि सभी लोग सुख शांति से अपना जीवन व्यतीत करें सबका उत्थान हो, यज्ञ का यही मूल है।
संत शीतल दास रामदास भागवत कथाकार ने कहा यज्ञ का अर्थ होता है भगवान का यजन करना। यज्ञ पुरोहित सत्यवान द्विवेदी ने यज के संदर्भ में विस्तृत रूप से जानकारी प्रदान की। उन्होंने कहा कि यज के कई स्वरूप हैं। उन्होंने कहा कि यज्ञ से बादल बनते हैं और बादल से वर्षा होती है और वर्षा से अन्य पैदा होता है। उन्होंने कहा यज्ञ से सभी का कल्याण होता है।
अफ्रीका के घाना में रहने वाले मुख्य आयोजन कर्ता संतोष कुमार सिंह ने बताया कि अक्षय तृतीया 3 मई से आरंभ हुआ यह कार्यक्रम 7 दिनों तक चल कर 9 मई को संपन्न होगा। 10 मई को विशाल भंडारे का आयोजन किया जाएगा।
भूप नारायण सिंह, संतोष कुमार सिंह, अनिल कुमार , विनीत कुमार सिंह, ममता सिंह, रामाशंकर सिंह, अखिलेश सिंह, मधुसूदन सिंह, जितेंद्र सिंह, पूर्व प्रधानाचार्य ओमप्रकाश सिंह आदि थे । प्रथम साधु संत हेतु, द्वितीय ब्राह्मणों हेतु, तृतीय यज्ञ कर्ता हेतु और चतुर्थ आमजन हेतु प्रतिदिन चार लंगर का आयोजित किये जा रहे हैं।
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