मेहनगर तहसील क्षेत्र के राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल बांसगांव अपने अस्तित्व पर आंसू बहा रहा है। फार्मासिस्ट के सहारे यह अस्पताल चल रहा है। ना ही बिजली और शौचालय की व्यवस्था है। हॉस्पिटल का अस्तित्व हो गया है जर्जर चिकित्सक आवास में मौत के मुंह में बैठकर कर्मचारी मरीजों का इलाज करते हैं। इसकी शिकायत कर्मचारी और ग्राम प्रधानों द्वारा लिखित उच्च अधिकारियों को किया गया, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
इस राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय की विभिन्न लोगों ने चर्चा किया
बांसगांव के ग्राम प्रधान पति रमेश सिंह ने बताया कि मेंहनगर तहसील क्षेत्र के तरवा थाना अंतर्गत राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय बांसगांव जो आजमगढ़ मुख्यालय से 37 किलोमीटर दूर स्थित है। इस चिकित्सालय से लगभग 25 गांव के लोग इस चिकित्सालय पर आधारित हैं। इसके उच्च अधिकारियों को लिखित पत्र देकर भी शिकायत की गई, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
भृत्य मनोज कुमार खरवार बताया कि यह चिकित्सालय जर्जर अवस्था में है। इसमें ना तो शौचालय ना ही बिजली है ना ही पंखा है। इस में बैठने वाले लोग मौत की दावत के देने के करीब है।
बांसगांव के राजेश पांडे ने बताया कि यह आयुर्वेदिक अस्पताल कई वर्षों से टूटा हुआ पड़ा है ।यहां वहां बरसात के समय छत का सारा पानी दवा में ही जीता है दवाइयां भी दी जाती है । छाता लगा कर लोग बैठ कर दबा देते हैं।
चिकित्सालय की साफ सफाई करने वाली स्लावती देवी 1 साल में ₹300 साफ सफाई का मिलता है। ₹300 से 1 साल का खर्च कैसे चलेगा।
प्रभारी फार्मासिस्ट विजय बहादुर यादव ने बताया कि यह राजकीय आयुर्वेद चिकित्सालय चिकित्सक आवास में चल रहा है, चिकित्सालय का तो अस्तित्व ही कभी का खत्म हो गया है। उसका पता नहीं कि कहां पर है। इसकी मरम्मत के लिए पूर्व प्रधान सत्यमेव जयते द्वारा वर्तमान प्रधान सुनीता सिंह द्वारा लिखित आवेदन देकर कई बार इसकी मरम्मत के लिए आजमगढ़ डीएयूओ शिकायत की गई है। यहां पर तमाम मरीज आते हैं। जर्जर भवन और बिजली पानी शौचालय न रहने की वजह से हम लोग को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
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