बांग्लादेश सीमा पर सर्च ऑपरेशन के दौरान 9 जनवरी को शहीद हुए विवेक तिवारी का पार्थिव शरीर मंगलवार को आजमगढ़ पहुंचा। वह यहां के बिलरियागंज थाना क्षेत्र के महवी शेरपुर के रहने वाले थे। 2 साल पहले BSF में भर्ती हुए थे।
BSF वाहन से आये विवेक तिवारी के पार्थिव शरीर के ताबूत को जवानों ने जैसे ही भूमि पर रखा, तो छोटा भाई अपने को नहीं रोक सका। वह ताबूत पर ही सिर रख कर रोने लगा। सैनिकों ने जैसे ही अंतिम सलामी दी, सभी की आखें नम हो गईं। आस-पास के बड़ी संख्या में उपस्थित लोगों ने परिजनों को संभाल कर सांत्वना दी। अंतिम संस्कार के लिए जिस रास्ते से शहीद का पार्थिव शरीर गुजरा, लोगों का हुजूम अंतिम दर्शन को उमड़ पड़ा।
पिता ने दी मुखाग्नि, गमगीन हुआ माहौल
शहीद विवेक तिवारी को श्रद्धांजलि देने BSF के जवान भी आए थे। जिले से भी एसपी ग्रामीण सिद्धार्थ अपनी टीम के साथ पहुंचकर शव पर फूल-माला चढ़ाकर अंतिम विदाई दी। पिता हरिनारायन तिवारी ने बेटे को मुखाग्नि दी।
शहीद विवेक तिवारी की 2 साल पहले ही शादी हुई थी। पिता किसान और मां गृहणी हैं। बेटे की मौत से परिजन सुध-बुध खो बैठे हैं। उन पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। शहीद जवान की पहली तैनाती जम्मू-कश्मीर में थी। वर्तमान में इनकी तैनाती पश्चिम बंगाल प्रांत के बांग्लादेश बॉर्डर पर थी। रविवार देर रात बॉर्डर पर सर्च ऑपरेशन के दौरान तस्करों से हुई मुठभेड़ के दौरान गोली लगने वह शहीद हो गए थे।
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