आजमगढ़ जिले में सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा के नाम पर धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार का मामला प्रकाश में आया है। जिले के अजमतगढ़ की ग्राम सभा खतीबपुर में मनरेगा में सुनियोजित तरीके से भ्रष्टाचार किया गया है। यह खुलासा दैनिक भास्कर की पड़ताल में हुआ है।
मुंबई तक फैला है जाल
जिले के अजमतगढ़ ब्लाक के बाजार बाखालीस में किराना स्टोर चलाने वाले संजय कुमार ने इस मामले की शिकायत की तो मामला उजागर हुआ। संजय का आरोप है कि बिना जानकारी दिए उसके परिजनों का नाम मनरेगा मजदूरों के रूप में दर्ज किया गया, जबकि पैसा किसी और संजय के खाते में जा रहा है। संजय की पत्नी सुनीता, बेटी तुलसी, अर्चना भाई विजय कुमार और विनीता का नाम मनरेगा मजदूर के रूप में दर्ज है।
वहीं मिठाई व्यापारी देवेंद्र मोदनवाल, आकाश मोदनवाल, सुभाष गुप्ता उनकी पत्नी उर्मिला गुप्ता के अलावा बागखालिस में भी मिठाई व्यवसायी सुरेश कुमार गुप्ता, पत्नी रेखा गुप्ता, बेटे शुभम और विक्रांत के नाम भी मजदूर के रूप में दर्ज हैं। वहीं मिठाई दुकानदार सुरेश व राशन दुकानदार दिनेश पुत्र राम लखन, जनरल स्टोर संचालक प्रदीप-दिलीप-संदीप व अन्य पुत्र गण ओम प्रकाश, मुंबई में बैग का व्यापार करने वाले सचिन व रवि पुत्र गढ़ इंद्रजीत को मनरेगा मजदूर बना दिया गया है, जबकि सभी पहले से अपना रोजगार कर रहे हैं।
दोषियों पर हो सख्त कार्रवाई
दैनिक भास्कर से बातचीत करते हुए किराना व्यवसायी संजय कुमार का कहना है कि इस मामले में जो भी लोग दोषी हैं, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। वहीं सुरेश गुप्ता के भी परिजनों को मनरेगा मजदूर बना दिया गया है। सुरेश गुप्ता का कहना है कि जो भी लोग इस पूरे खेल में शामिल हैं, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
जिम्मेदारों ने नियमों की उड़ाई धज्जियां
मनरेगा के मूल नियमों में से नियम 1 के तहत 18 वर्ष से ज्यादा उम्र वाला व्यक्ति अगर बेरोजगार है। उसे काम नहीं मिल रहा है तो उसको उसकी ग्राम सभा में या 3 किमी दायरे में आने वाली दूसरी ग्राम सभा में 100 दिन का रोजगार देना है।
अवहेलना-1- जो पहले से रोजगार में उन्हीं को रोजगार दिया गया
मिठाई दुकानदार सुरेश व राशन दुकानदार दिनेश पुत्र राम लखन, जनरल स्टोर संचालक प्रदीप-दिलीप-संदीप व अन्य पुत्र गण ओम प्रकाश, मुंबई में बैग का व्यापार करने वाले सचिन व रवि पुत्र गढ़ इंद्रजीत को मनरेगा मजदूर बना दिया गया है, जबकि सभी पहले से अपना रोजगार कर रहे हैं।
मनरेगा का नियम-2 यह कहता है कि एक परिवार में एक ही जॉब कार्ड बनाया जाएगा। उस परिवार के सभी सदस्य उसी जॉब कार्ड के अधीन काम करेंगे। परिवार के सभी सदस्यों को जोड़कर सरकार 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराएगी।
अवहेलना-2- एक राशन कार्ड में शामिल परिवार के सभी सदस्यों का अलग-अलग जाब कार्ड बनाना
राजेंद्र पुत्र रामबूझ के घर में उनके पात्र गृहस्थी राशन कार्ड के अनुसार कुल 4 सदस्य राजेंद्र की पत्नी सावित्री और दोनों पुत्र क्रमशः विशाल व राहुल हैं। गोपाल पुत्र हरिश्चंद्र के अंत्योदय राशन कार्ड में उनकी पत्नी मंजू व बेटियां क्रमशः रानी, वर्षा, रोशनी, मनीषा का नाम जुड़ा हुआ है। नियम से इन दोनों परिवारों के लिए एक-एक जॉब कार्ड होना चाहिए। लेकिन भ्रष्टाचारियों ने सभी सदस्यों का अलग-अलग जॉब कार्ड बनाया है।
मनरेगा का नियम नंबर 3 के अनुसार ग्राम सभा के रोजगार सेवक द्वारा मनरेगा मजदूर की रोज हाजिरी लगानी है। उसके द्वारा किए गए काम के एवज में मजदूरी ग्राम प्रधान से सहमति लेकर उसके खाते में डालना है।
अवहेलना - 3- जिस से काम लिया, मजदूरी उसके नाम के दूसरे खाते में डालकर पैसा निकाला
शिकायतकर्ता संजय पुत्र जगराज तथा उनकी पत्नी व बेटियों से ग्राम फतेहपुर के साथ ही ग्राम कस्बा सगड़ी, ग्राम कसरा आईमां मैं खेत के समतलीकरण व बाबा के मरम्मत का काम लेना दिखाया गया है। जबकि इनकी मजदूरी किसी और संजय, उनकी पत्नी व बेटियों के नाम से संचालित खाते में डाला गया है। ग्राम सभा के ही निवासी प्रवीण व विशाल पुत्र वीरेंद्र के साथ भी ऐसा ही किया गया है।
क्या बोले अधिकारी
जिले के CDO आनंद शुक्ला का कहना है कि मामले की जानकारी दैनिक भास्कर की खबर के बाद हुई। मामले की पड़ताल कराई जा रही है। दोषियों पर कार्रवाई होगी। वहीं अजमतगढ़ ब्लाक में तैनात रहे BDO ने गड़बड़ी के मामले में जानकारी से इनकार कर दिया।
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