सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान आजमगढ़ पहुंचे हैं। वह लोकसभा उपचुनाव में सपा प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव के पक्ष में जनसभा को संबोधित कर रहे हैं। अग्निपथ पर आजम खान ने कहा, "माहौल बिगड़ा है। बिहार की आग यूपी आ गई है। मुल्क संगीन दौर से गुजर रहा है। इंसानों के बीच नफरत पैदा की जा रही है। लोग एक-दूसरों के मोहल्लों में रहने से डरने लगे हैं। अग्नि पर लोग चल रहे हैं। हिंदुस्तान ने बहुत बुरे दिन देखे हैं। बहुत छल हुआ, अब भी छले जा रहे हैं। इस आग में किस-किस को निशाना बनाया जाएगा, होशियार रहने की जरूरत है।"
आजमगढ़ में आजम खान आठ साल बाद किसी राजनीतिक कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे। उनके साथ बेटे अब्दुल्ला आजम भी हैं। यहां 23 जून को लोकसभा उपचुनाव की वोटिंग है।
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एड़ियां रगड़ने या माथा टेक देने को मजबूर किया गया: आजम
आजम खान ने कहा, "जो जुल्म मेरे साथ हुआ, उसे याद रखा जाएगा। हम 27 महीने तक जेल में रहे। हमें एड़ियां रगड़ने या माथा टेक देने को मजबूर किया गया, पर हमने ऐसा नहीं किया। अपनी तकलीफ का जिक्र करने नहीं आया हूं। आपसे कहने आया हूं कि 'लम्हों ने खता की थी, सदियों ने सजा पाई।' इस चुनाव से हुकूमत नहीं बदलेगी, लेकिन मुल्क को एहसास हो जाएगा कि हम किस तरह विश्वगुरु बनेंगे।"
सीतापुर जेल में लोग खुदकुशी करते हैं, इसलिए मुझे वहां रखा: आजम
आजम ने कहा, "27 महीने की तन्हाई काट कर आया हूं। वह इसलिए कि हुक्मरानों पर कत्ल का इल्जाम न आए और हम मर जाएं। सीतापुर जेल में लोग खुदकुशी करते हैं। इसलिए हमें सीतापुर जेल में रखा गया। मैं कल भी जिंदा था, आज भी हूं और कल भी रहूंगा। मुझे एक कमरे में बंद रखा गया। 5 पुलिस के लोग दरवाजे पर बैठाए गए थे। पांच महीने गंभीर बीमारी के बाद जिसे मर जाना चाहिए था, लेकिन मैं न मरा, न पागल बना। आज आपके सामने हूं।"
इससे पहले 2014 में आजम खान आजमगढ़ आए थे
आजम खान इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान आजमगढ़ आए थे। वह जिले के ITI मैदान में आयोजित 'देश बनाओ-देश बचाओ' रैली में शामिल हुए थे। सपा की उस ऐतिहासिक रैली का शुभारंभ भी आजमगढ़ जिले से 29 अक्टूबर 2013 को हुआ था।
सपा की इस रैली में तत्कालीन सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव, आजम खान जैसे पार्टी के बड़े नेता शामिल हुए थे। उस कार्यक्रम के बाद आजम खान मुलायम सिंह यादव के लोकसभा चुनाव के प्रचार में नहीं दिखाई दिए। इसके अलावा वह 2017 के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में भी यहां नहीं आए।
आजम खान 27 महीने सीतापुर जेल में भी बंद रहे। उन पर 89 से अधिक मामले दर्ज हैं। 20 मई को जमानत मिलने के बाद आजम खान जेल से बाहर आए। जिसके बाद से सपा उनका आजमगढ़ चुनाव में भरपूर इस्तेमाल करना चाहती है। आजम के बहाने सपा मुस्लिम मतों के ध्रुवीकरण में जुटी है।
अबू आजमी ने चार दिन से डाल रखा है डेरा
2022 के विधानसभा चुनाव में सपा के वरिष्ठ नेता अबू आजमी सपा के कार्यक्रमों में दूर-दूर तक नजर नहीं आए। इस उपचुनाव में सपा ने मुस्लिम समाज के नेताओं को मैदान में उतार दिया है। इसका भी प्रमुख कारण बसपा प्रत्याशी शाह आलम गुड्डू जमाली हैं। गुड्डू जमाली बसपा के सिंबल पर मैदान में हैं।
सपा के वरिष्ठ नेता अबू आजमी जिले में चार दिन तक सपा प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव के पक्ष में जनसंपर्क करते नजर आए। वहीं शुक्रवार को मऊ सदर से विधायक माफिया मुख्तार के बेटे अब्बास अंसारी ने मुबारकपुर क्षेत्र में सपा प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव के लिए प्रचार किया।
सपा के लिए आजमगढ़ जीतना इसलिए है जरूरी
23 जून को आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव के लिए वोट डाले जाएंगे। हालांकि चुनाव तो रामपुर लोकसभा सीट पर भी हो रहा है, लेकिन सपा के लिए आजमगढ़ हॉट सीट बन गई है। यह उपचुनाव सपा के लिए इतना महत्वपूर्ण हो गया है कि पार्टी ने प्रदेश भर के अपने नेताओं की पूरी फौज ही आजमगढ़ में उतार दी है।
दरअसल, अखिलेश यादव ने करहल सीट से विधायक चुने जाने के बाद आजमगढ़ लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था। 2022 विधानसभा चुनाव में सपा ने आजमगढ़ की 10 की 10 विधानसभा सीटें जीती थी।
आजमगढ़ लंबे समय से सपा का गढ़ रहा है और पार्टी किसी भी कीमत पर 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले इस सीट को गंवाना नहीं चाहती। क्योंकि उसे ये भी पता है अगर यह उसके हाथ से निकल गई तो बीजेपी 2024 के लोकसभा चुनाव में इसके जरिए मतदाताओं को मैसेज देने का काम करेगी।
दो उपचुनावों में मुस्लिम प्रत्याशियों को मिली थी जीत
आजमगढ़ जिले में अभी तक हुए दो उपचुनाव का इतिहास यही रहा है कि मुस्लिम प्रत्याशी ही चुनाव जीतता है। 1977 में हुए उपचुनाव में जहां कांग्रेस से मोहसिना किदवई लोकसभा का उपचुनाव जीती थीं। वहीं 2009 के लोकसभा उपचुनाव में बसपा प्रत्याशी अकबर अहमद डंपी चुनाव जीते थे। हालांकि इस तरह के अपवाद चुनाव में बनते और बिगड़ते रहते हैं।
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