बदायूं से बीजेपी सांसद डॉ. संघमित्रा मौर्य ने अपने पिता सपा नेता और एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान को मौन स्वीकृति दे दी है। सांसद का कहना है कि उनके पिताजी ने रामचरित मानस की चौपाइयों को लेकर जो कहा है, उस पर बहस नहीं, बल्कि विश्लेषण होना चाहिए। उन्होंने जो कहा है, उसके पीछे तर्क है।
दर्ज हुई एफआईआर, जगह-जगह फूंके पुतले
स्वामी प्रसाद मौर्य पिछले दिनों रामचरितमानस को लेकर दिए गए बयान के बाद विवादों में घिर गए हैं। जहां एक तरफ उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई, वहीं जगह-जगह उनके पोस्टर और पुतले फूंके गए। स्वामी प्रसाद का विवाद अभी खत्म नहीं हुआ था कि उनकी बेटी ने पिता का समर्थन कर दिया। हालांकि अभी वह खुलकर समर्थन में नहीं आईं, लेकिन परोक्ष रूप से अपने पिता के साथ दिखीं।
आपत्ति करने वाले सकारात्मक दृष्टि रखें
बदायूं सांसद डा. संघमित्रा मौर्य का कहना है कि रामचरित मानस की चौपाइयों पर पिता के दिए बयान पर जिनको आपत्ति है, उन्हें सबसे पहले इस मामले को सकारात्मक दृष्टि से देखना चाहिए। कहा कि जो व्यक्ति (स्वामी प्रसाद) भगवान में नहीं, बल्कि भगवान बुद्ध में विश्वास रखता हो, वह 5 साल भाजपा में रहा। इसी कारण उन्होंने रामचरितमानस को पढ़ा। हम सब बचपन से यही सीखते आ रहे हैं कि अगर कहीं कोई डाउट है तो उसे क्लियर कर लेना चाहिए।
कोड की गई लाइन श्रीराम के चरित्र के विपरीत
सांसद संघमित्रा ने कहा कि हालांकि उनकी पिताजी से बात नहीं हुई है, लेकिन उन्होंने इसलिए चौपाई को कोड किया होगा, क्योंकि वह लाइन स्वयं श्रीराम के चरित्र विपरीत है। क्योंकि राम ने जहां शबरी के बेर खाए और जाति को महत्व नहीं दिया। वहीं लाइन में जाति का वर्णन है। अगर उन्होंने इस लाइन को कोड करके स्पष्टीकरण मांगा तो हमें लगता है कि स्पष्टीकरण होना चाहिए। मुझे लगता है कि यह विषय मीडिया में बहस का नहीं बल्कि विश्लेषण का है। उस पर विद्वानों के साथ चर्चा होनी चाहिए।
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