बदायूं में भगवान नीलकंठ महादेव बनाम जामा मस्जिद मामले में मंगलवार को सिविल जज सीनियर डिवीजन कोर्ट से पक्षकारों ने विचाराधीन प्रार्थना पत्रों के जल्द निस्तारण की मांग की। कोर्ट ने मामले में सुनवाई के लिए 23 मार्च की तारीख नियत की है। वहीं सुनवाई के दौरान शासकीय अधिवक्ता सिविल की ओर से संशोधन प्रार्थना पत्र पर आपत्ति दाखिल की गई।
भगवान नीलकंठ महादेव बनाम जमा मस्जिद के मामले में मंगलवार को सिविल जज सीनियर डिवीजन मोहम्मद साजिद की कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सभी पक्षकारों ने अपने-अपने लंबित प्रार्थना पत्रों के निस्तारण की कोर्ट से मांग की। भगवान नीलकंठ महादेव पक्ष की ओर से संशोधन प्रार्थना पत्र व कमीशन प्रार्थना पत्र लंबित है। वहीं जामा मस्जिद पक्ष की ओर से दावा चलने योग्य है या नहीं, यह प्रार्थना पत्र निस्तारण के लिये लंबित है।
मंगलवार को कोर्ट में सभी पक्षों की ओर से विभिन्न विधिक पहलुओं पर अपना अपना पक्ष रखा गया। इसके साथ ही वादी के संशोधन प्रार्थना पत्र पर डीजीसी सिविल की ओर से मंगलवार को आपत्ति दाखिल की गई। जिस पर संशोधन प्रार्थना पत्र को न्यायालय की प्रक्रिया का दुरुपयोग बताते हुए विरोध दर्ज कराया। सिविल जज सीनियर डिवीजन कोर्ट ने इस मामले में किस प्रार्थना पत्र पर पहले सुनवाई और निस्तारण हो इसके लिए 23 मार्च की तारीख नियत की है।
नीलकंठ महादेव पक्ष ने यह किया दावा
अखिल भारत हिंदू महासभा के प्रदेश संयोजक मुकेश पटेल की ओर से अदालत में किए गए दावे के मुताबिक शहर में स्थित जामा मस्जिद पूर्व में राजा महीपाल का किला था। यहां नीलकंठ महादेव का मंदिर था। मस्जिद की मौजूदा संरचना नीलकंठ महादेव के प्राचीन मंदिर को ध्वस्त करके बनाई गई है। साल 1,175 में पाल वंशीय राजपूत राजा अजयपाल ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था। मुगल शासक शमसुद्दीन अल्तमश ने इसे ध्वस्त कर जामिया मस्जिद बना दिया। इसके नक्शे समेत सरकारी गजेटियर भी कोर्ट में पेश किया गया है।
ये है मुस्लिम पक्ष का दावा
इंतजामिया कमेटी के सदस्य व अधिवक्ता असरार अहमद मुस्लिम पक्ष के वकील हैं। उनके मुताबिक जामा मस्जिद शम्सी लगभग 840 साल पुरानी है। मस्जिद का निर्माण शमसुद्दीन अल्तमश ने करवाया था। यहां मंदिर का कोई अस्तित्व नहीं है। कोर्ट में हमारी ओर से संशोधन प्रार्थना पत्र और कमीशन प्रार्थना पत्र के निस्तारण के लिए पक्ष रखा गया। सिविल जज सीनियर डिवीजन कोर्ट ने सुनवाई के लिए 23 मार्च की तारीख नियत की है। वहीं विपक्षियों के प्रार्थना पत्र पर आपत्ति दर्ज की गई है।
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