हर मां की ख्वाहिश होती है कि उसकी औलाद बड़ा होकर उसका नाम रोशन करे, इसके लिए वह मेहनत और समर्पण से कभी नहीं चूकती। अपनी औलाद की खुशी के लिए वह जब जितना बन पड़ता है, उसे देने में कभी आलस्य नहीं करती। औलाद के लिए यह त्याग और तप उस वक्त और कठिन हो जाता है, जब पति का भी साथ न हो। उन हालात में बेटे को पढ़ा-लिखाकर GST निरीक्षक बनाना खुद में काबिले तारीफ है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है बदायूं की एक विधवा आंगनबाड़ी वर्कर ने।
बिल्सी तहसील के खंडुवा गांव में रहने वाली आशा शर्मा की जिंदगी में हर वक्त समस्याओं के बादल छाए रहे। महीने की गर्भवती थीं तो पति राजीव की मौत हो गई। इसके बाद जो समस्याओं का दौर शुरू हुआ वो लगातार जारी रहा। वजह थी पति की मौत के बाद ससुराल छोड़ना पड़ा और चंद महीनों बाद अपने मायके आकर बस गईं। यहीं बेटे दुर्गेश का जन्म हुआ। जबकि इसके कुछ साल बाद उन्होंने आंगनबाड़ी की नौकरी कर ली।
बेटे पर दिया पूरा ध्यान
आशा की जिंदगी का अब केवल एक ही लक्ष्य था कि बेटे को किसी काबिल बना सकें। ऐसे में उन्होंने पूरा फोकस बेटे पर ही रखा। शुरुआती पढ़ाई गांव में पूरी हुई, जबकि इसके बाद बदायूं आकर उसने इंटरमीडिएट किया। इसके बाद दुर्गेश SSC की तैयारी में जुटा तो आशा ने अपनी पूरी हस्ती उसकी तैयारी में लगा दी। बेटे को कभी किसी चीज की कमी नहीं होने दी, भले ही वह खुद भूखी सोईं।
फिर बेटा बना GST इंस्पेक्टर
इधर, दुर्गेश ने भी बचपन से ही मां का त्याग और समर्पण देखा तो दिन-रात एक करके मेहनत में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। इसी मेहनत के बल बूते 4 महीने पहले ही दुर्गेश का GST इंस्पेक्टर के पद पर चयन हुआ है। वर्तमान में उसकी पोस्टिंग महाराष्ट्र के नासिक में है।
29 साल झेली दुख और परेशानियां
आशा ने अपनी उम्र के 29 साल दुख और परेशानियां झेलीं। 1992 में उनके पति की मौत हुई थी। शादी को चंद महीने ही गुजरे थे कि सिंदूर उजड़ चुका था, बावजूद इसके उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और पति की मौत का मलाल दिल में लिए बेटे को जीवन समर्पित कर डाला।
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