पश्चिम उत्तर प्रदेश को शुगर बाउल इसलिये बोला जाता है क्योंकि यहां का किसान गन्ने की फसल बहुतायत में बोता है । इसी कारण पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में भी गन्ना मुख्य भूमिका में होता है। अब शुगर बाउल के किसानों की पसंद बदलने लगी है। गन्ने के भुगतान में देरी होने के चलते अब किसान फूल की खेती करने लगे हैं।
छोटे किसानों ने की शुरूआत
जिले में खास कर छोटे किसानों का गन्ने से मोहभंग होता जा रहा है और छोटा किसान अब गन्ने से इतर अन्य फसलों को भी बोने लगे है । बागपत के अधिकांश छोटे किसानों ने गन्ने की फसल को छोड़कर फूलों की खेती की तरफ रुख कर लिया है। बागपत के दर्जनों गांव के छोटे किसानों ने अब फूलों की खेती करनी शुरू कर दी है।
दर्जनों गांवों में होने लगी है खेती
ऐसे ही दर्जनों गांव है जैसे बरनावा,संतनगर, बाणगंगा, मविकला, मवीखुर्द, पुरा महादेव, बुढ़सैनी, कमाला, चंदायन सहित दर्जनों गांव में फूलों की खेती की जाने लगी है । गन्ने की फसल को छोड़ कर फूलों की खेती करने वाले ज्यादातर किसानों का कहना है कि गन्ने की खेती में लागत ज्यादा आती है और किसान को गन्ना भुगतान के लिए सालों इंतजार करना पड़ता है जबकि छोटे किसान को अपना परिवार चलाने के लिए पैसे की जरूरत होती है । इसलिए छोटे किसानों ने गन्ना छोड़ कर फूलों की खेती की ओर रुख कर लिया है ।
सरकार से की अपील- खुलवा दे फूल मंडी
फुल उत्पादक किसानों का कहना है कि फूल की फसल का दाम हाथों-हाथ मिलता है जिस कारण छोटे किसान अब फूलों की खेती की तरफ आकर्षित होने लगे हैं। इसी के साथ साथ किसानों की ये भी मांग है कि अगर सरकार बागपत जिले में ही फूलों की मंडी की स्थापना करा दे। तो फूल उगाने वाले किसानों को बहुत सुविधा हो जाएगी। क्योंकि यहां के किसानों को अपनी फूलों की फसल को लेकर दिल्ली और हरियाणा नही जाना पड़ेगा और फूलों की खेती का क्षेत्रफल भी बढ़ेगा। फिलहाल यहां के किसान जो फूलों की खेती कर रहे है वो गाजीपुर मंडी में अपना फूल बेचते है।
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