बीते दो साल से सरसों की कीमतों में हो रही बढ़ोतरी के चलते उत्तर प्रदेश के बागपत में किसानों ने इसकी खेती में खासी रुचि लेनी शुरू की है। खाद्य तेलों के दामों में आए उछाल के बाद जिस तरह से बाजार में सरसों की अच्छी कीमत मिल रही है। उसके चलते प्रदेश के ज्यादातर हिस्सों में इसकी खेती का रकबा बढ़ा है।
35 फीसदी तक बढ़ी है सरसों की खेती
दरअसल, इस बार के रबी सीजन में तो सरसों के बुआई रकबे में बीते साल के मुकाबले 35 फीसदी तक की वृद्धि हुई है। पिछले सीजन में किसानों को सरसों की अच्छी कीमत मिली है। इस साल भी सरसों 9 हजार रुपये प्रति क्विंटल बिक रही है. इसे देखते हुए इस बार किसानों ने जोरदार तरीके से सरसों की खेती की है और गेहूं का रकबा कम कर दिया है। पिछले कुछ महीनों में खाद्य तेल की कीमतें आसमान छू रही थी। इसके साथ ही किसान अगले सीजन में भी तिलहन की उपज का लाभ मिलने की उम्मीद में सरसों की खेती पर अधिक जोर दे रहे हैं।
9 हजार प्रति क्विंटल है दाम
जिले में पिछले वर्ष की तुलना में सरसों की बुआई के रकबे में 35 फीसदी से अधिक की वृद्धि हुई है। किसानों का कहना है कि अरसे बाद प्रदेश में किसान तय लक्ष्य से कहीं ज्यादा जमीन पर सरसों की खेती कर रहे हैं। इस बार गन्ने के साथ-साथ अधिकांश किसानों ने सरसों की खेती करने को प्राथमिकता दी है।
बागपत के किसान वीरेंद्र ने बताया कि सरसों के अच्छे दाम मिलने के कारण इस बार पहले की अपेक्षा ज्यादा भूमि पर सरसों लगाई है और उम्मीद है कि इस वर्ष की तरह ही इस बार भी फसल के अच्छे दाम मिलेंगे।
किसानों द्वारा सरसों की फसल की ओर रुख करने के पीछे जहा सरसों के अच्छे दाम मिलना एक कारण है। वहीं गन्ने का उचित मूल्य और समय पर वो भी न मिलना भी कहि न कही किसानों को दूसरी फसलों की ओर जाने के लिए आकर्षित कर रहा है।
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