बलिया में आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन अब प्री-प्राइमरी स्कूल के रूप में होगा। बेसिक शिक्षा और बाल विकास विभाग ने पाठ्यक्रम तैयार करने और संसाधन जुटाने की कवायद शुरू कर दी है। आगामी शैक्षिक सत्र से यह व्यवस्था लागू करने की तैयारी है।
इस समय जिले में करीब 3,471 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हो रहे हैं। इनमें मिनी आंगनबाड़ी केंद्रों की संख्या 851 है। प्राथमिक स्कूलों के परिसर में संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों को प्री-प्राइमरी स्कूलों की तरह संचालित करने की योजना तो पिछले सत्र में ही बनी थी, लेकिन कोरोना और अन्य कारणों से इसे अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका। इसके लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण भी दिया गया है।
दरअसल, नई शिक्षा नीति में 3 से 6 वर्ष उम्र के बच्चों के लिए प्री-प्राइमरी स्कूल में शिक्षा देना अनिवार्य है। इसे नि:शुल्क और शिक्षा के अधिकार अधिनियम के दायरे में लाने की योजना बनी है। इसके मुताबिक, प्री-प्राइमरी में 3 से 6 वर्ष के बच्चे पढ़ेंगे। उन्हें चित्रकला, कार्टून, कठपुतली के अलावा अन्य आसान तरीकों से पढ़ाया जाएगा। इससे बच्चों का बौद्धिक विकास होगा। इसके लिए संसाधन भी उपलब्ध कराया गया है।
राज्य शैक्षिक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान और महिला एवं बाल विकास विभाग प्री प्राइमरी स्कूल के लिए पाठ्यक्रम और सीखने के मापदंड भी तैयार कर चुका है। सूत्रों की मानें तो पाठ्यक्रम को ऐसा बनाया गया है कि परिषदीय स्कूलों में दाखिला लेने पर बच्चों को कक्षा एक से ही NCERT के पाठ्यक्रम को पढ़ने में किसी तरह की कोई परेशानी न हो। इससे बच्चों में पढ़ने, लिखने व समझने की क्षमता विकसित होगी।
इस संबंध में DPO केएम पांडेय का कहना है कि प्री-प्राइमरी स्कूलों के संचालन के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया गया है। अभी इसके लिए अलग भवन नहीं बनना है। परिषदीय विद्यालयों में ही आंगनबाड़ी कार्यकर्ता इसका संचालन करेंगी। इसमें बेसिक शिक्षा विभाग का भी सहयोग लिया जाएगा।
Copyright © 2023-24 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.