बलिया में NH-31 और गंगा के मुहाने पर बसे गांवों को बचाने लिए लगभग 55 करोड़ की लागत से बाढ़ विभाग की 5 परियोजनाओं का काम चल रहा है। इस काम से रामगढ़ से लेकर दूबेछपरा तक की करीब 50 हजार की आबादी को सुरक्षित करने की कवायद हो रही है।
इसके बावजूद उदासीनता का आलम यह है कि कुछ दिन पहले तक कटान रोधी कार्य धरातल पर मूर्त रूप नहीं ले सका है। जबकि मानसून आने में महज दो-चार दिनों का वक्त शेष है। ग्रामीणों को चिंता है कि यदि यही हाल रहा तो इस बार भी करोड़ों रुपए पानी में बह जाएंगे। गंगा के किनारे बसे इन लोगों में अपने भविष्य को लेकर चिंता उभरनी शुरू हो गई है।
धीमीगति से चल रहा काम
इस बार बलिया को बाढ़ व कटान से बचाने के लिए शासन ने 126 करोड़ रुपए लागत वाली कुल 19 परियोजनाओं की स्वीकृति दी थी। इनमें 5 परियोजनाएं रामगढ़ से लेकर दूबेछपरा तक हैं। वहां पर 2 ठोकर, रिवेटमेंट पारक्यूपाइन विधि से कटान रोधी कार्य संसाधन व मजदूरों के अभाव में मंद गति से चल रहा है।
ग्रामीणों का आरोप है कि बाढ़ विभाग जान-बूझकर कार्यों में शिथिलता बरत रहा है, ताकि बाढ़ का समय आ जाए तो हमेशा की तरह फ्लड फाइटिंग के नाम पर सरकारी धन का बंदर बांट करने का भी मौका मिल जाएगा। कार्यों की प्रगति की स्थिति यह है कि काम अभी करीब 50 प्रतिशत भी पूरा नहीं हो पाया है।
विभाग पहले यह आश्वासन दे रहा था कि हर हाल में 15 जून तक सभी कटान रोधी कार्य कर लिए जाएंगे, लेकिन अब सवाल उठ रहा है कि आखिर बचे हुए कुछ दिनों में बाढ़ विभाग व ठेकेदार शेष 50 फीसदी काम को कैसे पूरा कर लेंगे?
काम छोड़कर चले जाते हैं ठेकेदार
ग्रामीणों का कहना है कि यही स्थिति हर साल की रहती है। गंगा का जलस्तर बढ़ने लगता है और ठेकेदार बीच में ही काम छोड़कर फरार हो जाते हैं। यही नहीं, ठेकेदारों को बचाने में बाढ़ विभाग जी जान से जुट जाता है और बाढ़ के समय में फ्लड फाइटिंग के नाम पर करोड़ों रुपए पानी में बहा दिए जाते हैं। लापरवाह ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाए विभाग उन्हें फिर कटान रोधी कार्य करने का ठेका भी दे देता है।
हर हाल में पूरा कर लिया जाएगा काम
सिंचाई विभाग के एक्सईएन संजय मिश्र का कहना है कि हर हाल में 30 जून से पहले सभी कटान रोधी कार्य पूर्ण कर लिए जाएंगे। इस बार तय समय के अंदर जिस ठेकेदार का कार्य पूर्ण नहीं होगा, उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई भी की जाएगी।
लंबे समय से जमे हैं अफसर कटान रोधी कार्य में शिथिलता को लेकर लोगों का आरोप है कि कई अधिकारी ऐसे हैं, जो 3 वर्षों से अधिक समय से इस क्षेत्र में डटे हुए हैं। इन्हीं के रहते करोड़ों रुपए की लागत से बने दूबेछपरा रिंग बंधा भी दो बार टूट गया और किसी जिम्मेदार अधिकारी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
इससे ठेकेदारों व अधिकारियों के हौसले बुलंद हो गए हैं। स्थिति यह है कि कटान रोधी कार्यों में जमकर मानकों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं और अधिकारी अपने निरीक्षण में खानापूर्ति कर लौट जा रहे हैं।
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