अंजुमन तरक़्क़ी-ए-उर्दू के तत्वाधान में विश्व उर्दू दिवस पर तालीम-ए-फ़रोग़ निस्वां ने एक जलसा-ए-आम एवं सेमिनार का आयोजन किया। जलसे का आग़ाज़ हाफिज बेलाल सिद्दीक़ी के तिलावत-ए-कलामपाक व अब्दुर्रक़ीब फलाही, पीरो बिहार के हम्द-ओ-नात के कलाम से हुआ।
अंजुमन के नायब सदर डॉ. मज़हर आज़मी ने उपस्थित सभी उर्दू प्रेमियों का इस्तक़बाल कर खुश आमदीद कहा। जलसे के मुख्य अतिथि डिप्टी कलेक्टर एआर सिद्दीक़ी ने उर्दू के इतिहास पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए इसे खालिस हिंदुस्तानी भाषा बताया। विशिष्ट अतिथि ज़िला प्रोबेशन अधिकारी मुमताज़ अहमद ने नौजवान नस्लों की काउंसिलिंग कर शिक्षा के क्षेत्र में उचित दिशा के चुनाव करने पर बल दिया।
उर्दू सिखाने की जिम्मेदारी शिक्षित माताओं को सौंपी
डॉ. मसूद ग़ाज़ीपुरी ने उर्दू की समस्या और उसके समाधान के विषय पर अपना एक ठोस दृष्टिकोण पेश किया। जावेद अख्तर ने अल्लामा इक़बाल की शायरी में जज़्बाए हुबुलवतनी पर शानदार मकाला प्रस्तुत किया। जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के पीआरओ प्रोफेसर जैनेन्द्र पांडेय ने हिंदी और उर्दू के रिश्ते पर परिचर्चा करते हुए उर्दू को एक इंक़लाबी ज़ुबान एवं इंकबाल को इंकलाब शायर क़रार दिया। मशहूर खाका निगार डा. शकील ने उर्दू मुहावरों को घरेलू जीवन मे प्रयोग करने व नई पीढ़ी को उर्दू सिखाने की जिम्मेदारी शिक्षित माताओं को सौंपी।
उर्दू प्यार मोहब्बत की जुबान
हिंदी साहित्यकार डॉ. जनार्दन राय ने उर्दू को प्यार व मुहब्बत की ज़ुबान बताया। कुंवर सिंह इन्टर कॉलेज के उप प्रधानाचार्य शशिप्रेम देव जी ने अंजुमन तरक़्क़ी-ए-उर्दू की प्रौढ़ शिक्षा के तहत "उर्दू पाठशाला" की तारीफ करते हुए उर्दू भाषा सीखने में हुए लाभ का वर्णन करते हुए अपनी ग़ज़ल प्रस्तुत किया। मथुरा डिग्री कॉलेज की प्रो. डॉ आलिया सिद्दीकी, कादम्बनी सिंह व ज़ाकिर बलियावी ने अपने गीत और ग़ज़ल से उपस्थित जन का खूब मनोरंजन किया।
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