पिछले महीने की 16 तारीख से तहसीलदार उतरौला को हटाने की मांग कर रहे अधिवक्ताओं ने शनिवार को संपूर्ण समाधान दिवस में भी क्रमिक अनशन किया। संपूर्ण समाधान दिवस के बहिष्कार की घोषणा के चलते पूरे तहसील परिसर को पुलिस छावनी में बदल दिया गया था।
शुक्रवार रात वकीलों के आक्रोश को शांत करने के लिए एएसपी नम्रिता श्रीवास्तव ने वकीलों के प्रतिनिधि मंडल से वार्ता भी की, लेकिन गतिरोध दूर नहीं हो पाया था। शनिवार सुबह नौ बजे से ही तहसील परिसर में चार थानों की फोर्स के साथ सीओ उदयराज सिंह डट गए थे। वकीलों के हड़ताल के कारण एसडीएम ने फरियादियों के प्रार्थना पत्र लिखने के लिए लेखपालों को तैनात किया था।
सुबह लगभग 11.16 बजे डीएम श्रुति व एसपी राजेश कुमार जैसे ही तहसील परिसर में घुसे वकीलों ने नारेबाजी तेज कर दी। वकीलों के आक्रोश को देखते हुए पुलिसकर्मियों ने डीएम को तहसील के पिछले दरवाजे से सभागार में पहुंचाया। उधर बरामदे में फरियादियों का प्रार्थना पत्र लिख रहे लेखपालों के साथ वकीलों ने धक्का मुक्की शुरू कर उन्हे टेबल से हटा दिया। इसी बीच लेखपाल व वकीलों ने एक दूसरे के प्रति नारेबाजी व अमर्यादित शब्दों का प्रयोग करना शुरू कर दिया।
एसडीएम व सीओ दोनों पक्षों के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए बीच में खड़े होकर समझाने का प्रयास करते रहे। लेखपाल तहसील में धरने पर बैठ कर नारेबाजी करने लगे। उनके समर्थन में कलेक्ट्रेट कर्मचारी व राजस्व अमीन भी धरने पर बैठकर नारेबाजी करने लगे।
बाद में लेखपालों ने चार नामजद व उनके अन्य साथियों के खिलाफ सरकारी कार्य में बाधा, मारपीट व धमकी देने का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराने का प्रार्थना पत्र डीएम को दिया। अधिवक्ताओं ने भी कुछ लेखपालों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का प्रार्थना पत्र प्रभारी निरीक्षक को दिया है। दिन भर चले हाई वोल्टेज ड्रामे व भारी फोर्स के चलते संपूर्ण समाधान दिवस में फरियादियों की संख्या दहाई तक नहीं पहुंच पाई।
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