पूरे प्रदेश में अति संवदेशील जिले में पिछले विधानसभा की पूरी 9 विधानसभा सीटों पर भाजपा का परचम लहराने के बाद शनिवार को जब भाजपा ने 107 उम्मीद्वारों की लिस्ट जारी की तो बरेली में दो सीटिंग विधायको के टिकट कट गए। जिसमें कैंट सीट से सीटिंग विधायक पूर्व मंत्री राजेश अग्रवाल और बिथरीचैनपुर के सीटिंग विधायक राजेश मिश्रा उर्फ पप्पू भरतौल का नाम गायब था। दो सीटिंग विधायकों का टिकट कटने के बाद जिले में बगावत के सुर फूट पड़े।
राजेश अग्रवाल के भाजपा के कोषाध्यक्ष बनने के बाद उनके बेटे मनीष अग्रवाल पिता की जगह विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी मेें थे। जैसे ही भाजपा ने लिस्ट जारी की और उनका नाम कटा तो बगावत के सुर सामने आए। उन्होंने सोशल साइट फेसबुक पर पोस्ट किया कि निष्ठा हार गई और पैसा जीत गया। जिसके बाद तो बरेली के भाजपा नेताओं में हड़कंप मच गया। हालांकि 3 घंटे बाद ही दबाव में आकर मनीष अग्रवाल ने यह पोस्ट डिलीट कर दिया लेकिन तब तक यह मामला तूल पकड़ चुका था। वहीं बिथरीचैनपुर के विधायक राजेश मिश्रा उर्फ पप्पू भरतौल ने खुद पर संयम रखा तो फेसबुक पर लिखा की मेरा सभी कार्यकर्ताओं व शुभचिंतकों व समर्थकों से अनुरोध है कि वह कृपया धैर्य बनाए रखें।
पप्पू भरतोल का टिकट करने से नाराजगी
शुक्रवार को जैसे ही भाजपा ने अपने विधानसभा प्रत्याशियों की घोषणा की तो दो सीटिंग विधायक राजेश अग्रवाल और राजेश मिश्रा उर्फ पप्पू भरताैल का नाम गायब दिखा। कैंट से राजेश अग्रवाल के बेटे की जगह संजीव अग्रवाल को टिकट मिला तो बिथरीचैनपुर से डा. राघवेंद्र शर्मा को टिकट दिया। राजेश अग्रवाल या उनके बेटे संजीव अग्रवाल के बेटे के टिकट कटने को लेकर उतरा आक्रोश नहीं दिखाई पड़ा। जितना राजेश मिश्रा उर्फ पप्पू भरतौल के टिकट कटने को लेकर लोगों में गुस्सा देखने को मिला। हजारों की संख्या में उनके समर्थकों ने सोशल साइट पर अपनी नाराजगी दर्ज कराई। जिससे यह साफ हो गया कि पप्पू भरतौल का टिकट कटने से लोगों में भारी आक्रोश व्याप्त है।
कोविड़ के दौरान सिर्फ लोगों की मदद की पप्पू भरतौल ने
लोगों की माने तो बरेली की 9 विधानसभा सीट और 2 संसदीय सीट पर भाजपा के विधायक और सांसद थे। कोरोना काल में जब महामारी से पूरे जिले के लोग परेशान हुए और सभी विधायक के साथ सांसदों से मदद मांगी लेकिन उस दौरान सभी विधायक और सांसद ने अपना फोन या तो नॉट रिचेबल कर दिया या तो फिर फारवर्ड कॉलिंग लगा दी। उस दौरान सिर्फ एक ही विधायक ने हजारों परेशान लोगों का फोन उठाया। वह राजेश मिश्रा उर्फ पप्पू भरतौल थे। जो घर से बाहर निकले लोगों के घरों तक राशन से लेकर दवा और हजारों लोगों को आक्सीजन सिलिंडर तक पहुंचाया। इतना ही नही, अपने नंबर की हेल्पलाइन तक जारी की और जब बरेली के सभी सांसद विधायक अपनी जान की परवाह कर रहे थे तब उन्होंने परेशान लोगों की मदद की। जिसे लेकर बरेली के हजारों लोगों में भारी आक्रोश दिखाई पड़ा। संभावना जताई जा रही है कि उनका टिकट कटने के बाद बड़ी संख्या में लोगों ने भाजपा को वोट नहीं करने की बात कह दी है। हालांकि अपना टिकट कटने के बाद उन्होंने सभी समर्थकों को संयम और शांत रहने की अपील की है लेकिन उसके बाद भी उनके समर्थक सोशल साइट पर अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं।
मटके में लावारिश मिली बच्ची को दिया था पिता का नाम
लोगों की माने तो राजेश मिश्रा उर्फ पप्पू भरतौल वह नाम है जिसने एक मटके में मिली लावारिश बच्ची को अपना नाम दिया। उन्होंन मटके मे मिली बच्ची को सीता नाम दिया तो लोग उन्हें दशरथ की उपाधी दी। लोगों की माने तो उस समय लावारिश उस बच्ची को जिला अस्पताल के वार्ड में लावारिश छोड़ दिया लेकिन विधायक पप्पू भरतौल पहुंचे और उन्होंने उस लावारिश बच्ची को गोद लिया और अपनी बेटी सीता का नाम दिया।
भाजपा को बरेली में होगा इस बार नुकसान
भाजपा के कुछ पुराने दिग्गज नेताओं ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि भाजपा ने जिस तरह से इस बार विधानसभा में नाम की घोषणा की है। इस बार बरेली में भाजपा काे नुकसान होना तय है। बरेली में चुनाव की बात करे तो सीधा हिंदू और मुस्लिम का कार्ड चल रहा है। जिले में भाजपा के सबसे बड़े हिंदुत्व विधायक की बात करें तो राजेश मिश्रा उर्फ पप्पू भरतौल का नाम टॉप पर था। 4 साल पहले कैंट थाना के नकटिया इलाके में उन्होंने ही मुहर्रम के जुलूस का विरोध किया था। क्योंकि उस दौरान दूसरे सम्प्रदाय ने सावन की कांवड़ यात्रा निकालने का विराेध किया। जिसके बाद विधायक ने भी मुहर्रम के जुलूस का विराेध किया था। उस दौरान उनके साथ उनके बेटे के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया गया था।
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