चंदौली में रबी के सीजन में गेंहू की बुआई के दौरान किसानों को खाद की भारी किल्लत से जूझना पड़ सकता है, क्योंकि पीसीएफ के सरकारी गोदामों में मात्र 50 टन (एमटी) डीएपी मौजूद है। जबकि रबी के सीजन में 20 हजार टन (एमटी) डीएपी की जरूरत पड़ती है। वहीं निजी दुकानों पर कुल 1,800 एमटी डीएपी खाद मौजूद है। ऐसे में बुआई के दौरान निजी दुकानदार अधिक मुनाफा के चक्कर में किसानों को अधिक दाम पर खाद बेच सकते हैं।
सवा लाख हेक्टेयर में गेंहू की खेती का लक्ष्य निर्धारित
सरकारी आंकड़ों के अनुसार कृषि प्रधान चंदौली जनपद में सवा लाख हेक्टेयर में गेंहू की खेती का लक्ष्य निर्धारित है। फसल की बुआई से लेकर कटाई के बीच किसानों को 20,298 एमटी डीएपी और 48462 एमटी यूरिया की जरूरत पड़ेगी, लेकिन सरकारी गोदाम फिलहाल खाली पड़े हैं। बर्थरा स्थित पीसीएफ के गोदाम में मात्र 50 एमटी डीएपी मौजूद है। जबकि किसान को खाद के लिए समितियों पर खाद नहीं है। वहीं निजी दुकानों पर खाद की उपलब्धता बनी हुई है।
निजी दुकानों की निगरानी की जा रही
जिला कृषि अधिकारी बसंत कुमार दुबे ने बताया कि जनपद में डीएपी की उपलब्धता को लेकर डिमांड भेजी गई है। एक सप्ताह में 1,300 एमटी डीएपी उपलब्ध होने की संभावना है। खाद की कालाबाजारी रोकने के लिए बराबर निजी दुकानों की निगरानी कराई जा रही है। किसान रासायनिक खाद की जगह जैविक खाद का प्रयोग कर सकते हैं। इससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ने के साथ उत्पादन बढ़ जाएगा।
खाद की कमी को विपक्षी दल बनाएंगे मुद्दा
सपा के राष्ट्रीय सचिव मनोज सिंह डब्लू ने जिला प्रशासन के अफसरों पर लापरवाही का आरोप लगाया है। सीधे तौर पर उन्होंने भाजपा के जनप्रतिनिधियों और जिलाधिकारी को खाद की कमी होने पर जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि वह बर्थरा स्थित पीसीएफ के सरकारी गोदाम का निरीक्षण करेंगे। अगर गोदाम में खाद नहीं पहुंची तो तालाबंदी करने के साथ अफसरों का घेराव करेंगे।
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