महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के ऊर्जा एवं पर्यावरण विभाग, विज्ञान एवं पर्यावरण संकाय के शिक्षकों व छात्रों ने मंदाकिनी संरक्षण जन जागरूकता यात्रा निकाली। सती अनुसूइया आश्रम से संत महात्माओं के साथ गोष्ठी के उपरांत पैदल यात्रा प्रारंभ हुई। पैदल मार्ग में स्थित पंच प्रयाग आश्रम के महाराजश्री से यात्रा के उद्देश्य और संभावनाओं के संबंध में चर्चा हुई।
विशेषज्ञों ने बताया कि मंदाकिनी नदी, झूरी नदी व तीन अन्य जल स्रोतों के मिलने के कारण इस समागम स्थल को पंच प्रयाग कहते है। पंच प्रयाग आश्रम के बाद पैदल यात्रा जोतहारी आश्रम पहुंची। मंदाकिनी नदी के संदर्भ में महत्वपूर्ण जानकारियां विद्यार्थियों ने प्राप्त किया। जोतहारी आश्रम में प्रसादी के उपरांत यह यात्रा टाटी घाट पहुंची। इस स्थान में अनेक संत मंदाकिनी के किनारे अपने आश्रम बनाकर रहते हैं।
गंदगी करने वालों को टोंके
इन संतो के साथ भी मंदाकिनी यात्रा के उद्देश्यों को लेकर विद्यार्थियों ने चर्चा की। तय हुआ कि मंदाकिनी में यदि कोई व्यक्ति किसी भी प्रकार गंदगी करते या डालते हुए पाया जाता है तो हम उसको टोंके व कहें कि ऐसा न करो। क्योंकि मंदाकिनी चित्रकूट की जीवन रेखा है व इसके जल के संरक्षण व संवर्धन की जिम्मेदारी यहां के प्रत्येक व्यक्ति की है।
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